भोपाल। खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्री गोविन्द सिंह राजपूत ने कहा है कि हमारे तो ह्रदय में ही पूरा बुंदेलखण्ड बसता है। हमें अपनी बुंदेलखंडी भाषा बोलने में गर्व महसूस होता है। श्री राजपूत राजधानी भोपाल के जनजातीय संग्रहालय सभागार में बुंदेली समागम के अंतिम दिन पुरस्कार वितरण के बाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
श्री राजपूत ने कहा कि प्रदेश ही नही अब तो देश विदेश में भी बुंदेली भाषा बोली जाने लगी है। श्री राजपूत ने कहा कि बुंदेली संस्कृति में हमें एक नई अनुभूति होती है। एक वाकए का जिक्र करते हुए श्री राजपूत ने कहा कि स्कूल और कॉलेज के दिनों में बुंदेली भाषा बोलने पर सहपाठी छात्र - छात्राएं मजाक उड़ाया करते थे लेकिन अब बोलने पर गर्व महसूस होता है। उन्होंने कहावत कहते हुए कहा कि एक बुंदेलखंडी 100 दंडी के बराबर होता है। बुंदेली समागम के आयोजक पत्रकार सचिन चौधरी के प्रयासों की सराहना करते हुए मंत्री श्री राजपूत ने कहा कि ऐसे आयोजनों से बुंदेली संस्कृति को जानने और समझने का नई पीढ़ी को पर्याप्त अवसर मिल रहा है। हमारी बुंदेलखंड की विलुप्त हो रही परंपराओं को बचाने और पुर्नजीवित करने के लिये ऐसे आयोजनों की महती आवश्यकता है। सचिन का यह प्रयास बुंदेली संस्कृति को आगे बढ़ाने और जीवंत करने की बड़ी कोशिश है।
बुंदेलखंड की विभिन्न विधाओं और विरासत का जिक्र करते हुए खाद्य मंत्री श्री राजपूत ने कहा कि हमने तो अतीत और वर्तमान दोनों देख लिया है, पर हमारी नई पीढ़ी बहुत सी परम्पराओं और संस्कृति से अनजान है। वैवाहिक परंपराओ, राई डांस, लोक गीत सहित अन्य आयोजनों का जिक्र करते हुए श्री राजपूत ने कहा कि पहले के पारिवारिक आयोजनों में प्यार और स्नेह छुपा होता था। श्री राजपूत ने कहा कि बुंदेली महोत्सव जैसे आयोजन नई पीढ़ी को विरासत से अवगत कराने का एक सागर्भित प्रयास है।