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मातृ भाषा में अध्ययन को प्रोत्साहित करेगी मध्यप्रदेश सरकार - मुख्यमंत्री डॉ. यादव

भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मध्यप्रदेश सरकार हिंदी के अधिकाधिक प्रयोग और प्रोत्साहन के लिए संकल्पबद्ध है। मध्यप्रदेश प्रमुख हिंदी भाषी राज्य है। मध्यप्रदेश से न सिर्फ डॉक्टर, इंजीनियर हिंदी में शिक्षा ग्रहण कर आगे बढ़ रहे हैं बल्कि अन्य पाठ्यक्रमों के हिंदी में अध्ययन की सुविधा भी दी सकती है। आगे चलकर एमबीए और अन्य पाठ्यक्रमों में भी अध्ययन करके विद्यार्थी कॅरियर का निर्माण कर सकते हैं। हिंदी बोलने वाले हिंदी का गौरव बढ़ाते हैं। मध्यप्रदेश सरकार विद्यार्थियों को मातृ भाषा के माध्यम से आगे बढ़ाने के लिए संकल्पबद्ध है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव आज हिंदी दिवस पर संस्कृति विभाग द्वारा रवीन्द्र भवन में आयोजित राष्ट्रीय हिंदी भाषा सम्मान अलंकरण समारोह में हिंदी-सेवियों को सम्मानित कर रहे थे। 

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि आज हिंदी दिवस के अवसर पर भाषा से संबंधित पुनर्रावलोकन भी जरूरी है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हिंदी की यात्रा उद्गम अवधी से शुरू हुए। अनेक कठिनाइयों के बाद भी हिंदी की विकास यात्रा सुगमता से आगे बढ़ी है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने समारोह में स्वतंत्रता आंदोलन और राष्ट्रभाषा दोनों उद्देश्यों के लिए कार्य करने वाले अनेक स्वतंत्रता सेनानियों और महापुरूषों का स्मरण किया।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि ये हमारा सौभाग्य है कि कई गैर हिंदी भाषी भी हिंदी के प्रबल समर्थक रहे हैं। अनुकूल समय में प्रतिकूलता से नई आशा रूपी किरणें निकलती हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जब अंग्रेजों और अंग्रेजियत का बोलबाला था, देश के हिंदी प्रेमी विद्वानों और महापुरूषों के सूर्य प्रकाश की रश्मियां हमें जोड़ रही थीं। उस दौर में अंग्रेजियत को नकारना भी एक मुश्किल कार्य था लेकिन राष्ट्र प्रेमियों और हिंदी प्रेमियों ने स्वतंत्रता दिलवाने के साथ ही अपनी भाषा की अस्मिता के लिए भी प्रयास किए। उन्होंने राष्ट्रभाषा का गौरव बढ़ाया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस सिलसिले में माधवराव सप्रे और भारतेंदु हरिश्चंद्र से लेकर प्रख्यात लेखक प्रेमचंद जी और हजारी प्रसाद द्विवेदी के साथ ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, श्यामा प्रसाद मुखर्जी और सुभाष चंद्र बोस को भी याद किया जो देश के लिए आजादी के आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाते हुए हिंदी के प्रबल समर्थक के रूप में कार्य करते रहे।

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