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गैस पीड़ितों के चार प्रमुख संगठनों ने BMHRC के एम्स के साथ प्रस्तावित मर्जर का पुरज़ोर विरोध किया !!!

भोपाल।  आज एक पत्रकार वार्ता में भोपाल में दिसम्बर 1984 के यूनियन कार्बाइड गैस हादसे के पीड़ितों के चार संगठनों के नेताओं ने पीड़ितों के स्वास्थ्य के लिए बने एक अस्पताल को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, भोपाल के साथ प्रस्तावित विलय की निंदा की। संगठनों ने कहा कि उन्होंने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री को पत्र लिखकर इस विलय के विचार को रद्द करने का आग्रह किया है, क्योंकि इससे पीड़ितों के स्वास्थ्य को काफी नुकसान पहुंचेगा। संगठनों ने बताया कि प्रस्तावित विलय भोपाल के पीड़ितों के स्वास्थ्य के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्पष्ट उल्लंघन है। 

भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रशीदा बी ने कहा, "एम्स, भोपाल के साथ प्रस्तावित विलय से भोपाल के पीड़ितों के लिए मौजूद स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को अपूरणीय क्षति होगी। यह मूर्खतापूर्ण प्रस्ताव 2018 में भी लाया गया था और शुक्र है कि सरकार द्वारा नियुक्त उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने अगस्त 2019 में इस विचार को खारिज कर दिया था। हम यह समझ नहीं पा रहे हैं कि यह प्रस्ताव, जो पीड़ितों के लिए विशेष ध्यान देने की सुविधाओं को छीन लेगा, पांच साल बाद फिर से क्यों उठाया जा रहा है ।" 

भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव ने कहा, "जनवरी 2024 से एम्स, भोपाल ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भोपाल के कैंसर पीड़ितों को देखभाल प्रदान करना शुरू कर दिया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त निगरानी समिति ने एम्स, भोपाल में मरीजों को कोई ध्यान देने के लिए 3 से 4 महीने की प्रतीक्षा अवधि पर चिंता व्यक्त की है। ये प्रस्तावित विलय के लिए अशुभ संकेत हैं।" 

भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के नवाब खान ने कहा कि प्रस्तावित विलय भोपाल गैस पीड़ितों की चिकित्सा देखभाल से संबंधित एक मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित निर्देशों का उल्लंघन करता है। "सुप्रीम कोर्ट ने 9 अगस्त, 2012 को केंद्र सरकार और अन्य एजेंसियों को भोपाल मेमोरियल अस्पताल को एक स्वायत्त शिक्षण संस्थान बनाने का निर्देश दिया है ताकि यह गुणवत्तापूर्ण कर्मचारियों को आकर्षित कर सके और गैस पीड़ितों की बेहतर सेवा कर सके।"

 "इस विचारहीन प्रस्ताव के बारे में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इसे आगे बढ़ाने की मांग करने वाले अधिकारियों ने गैस पीड़ितों से परामर्श करना आवश्यक नहीं समझा। भोपाल स्थित किसी भी पीड़ित संगठन से इस मामले पर उनकी राय नहीं पूछी गई, 

रशीदा बी

भोपाल गैस पीड़ितस्टेशनरी कर्मचारी संघ

बालकृष्ण नामदेव

भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा,

नसरीन खान, नवाब खाँ

भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा

नौशीन खान 

डाव-कार्बाइड के खिलाफ बच्चे

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