कम हो रही थी गर्भस्थ शिशु की धड़कन, प्रसूता की प्लेटलेट्स बची भी 62 हजार
गुना। जिला अस्पताल में पदस्थ चिकित्सकों की सूझबूझ और मेहनत ने एक प्रसूता और उसके गर्भस्थ शिशु की जान बचा ली। बेहद संवेदनशील हालत में भर्ती कराई गई प्रसूता और उसके बच्चे को बचाने के लिए इतना भी समय नहीं था कि उन्हें किसी उच्च स्तरीय अस्पताल के लिए रेफर किया जाए। ऐसे में अस्पताल के प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. सतीश राजपूत और उनकी टीम ने परिजनों की सहमति से जिला अस्पताल में ही ऑपरेशन कर दिया।
जानकारी के मुताबिक बांसखेड़ी निवासी प्रसूता को प्रसव पीड़ा के बाद जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। परीक्षण के दौरान पता चला कि प्रसूता के खून में प्लेट लेट्स की संख्या महज 62 हजार रह चुकी है। आमतौर पर रक्त में कम से कम डेढ़ लाख प्लेटलेट्स होना आवश्यक है। लिहाजा महिला की हालत काफी खराब हो चुकी थी। इसके अलावा गर्भस्थ शिशु की धड़कन भी कम हो गई थी। प्रसूता की स्थिति को देखते हुए डॉ. सतीश श्रीवास्तव द्वारा महिला के परिजनों से उसके ऑपरेशन की सहमति ली गई। वहीं मरीज की संवेदनशील हालत के बारे में नियमानुसार जिला प्रशासन को भी अवगत कराया गया। डॉ. सतीश राजपूत द्वारा ऑपरेशन करने और ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. अशोक सहयोग के महिला की जान बच गई। इस दौरान एनेस्थेसिया देने में विकास डॉ. राजपूत का सहयोग रहा। इस तरह जिला अस्पताल स्टाफ ने एक ऐसी प्रसूता की जान बचाई, जो बेहद संवेदनशील थी और जरा सी देरी करने पर किसी अप्रिय घटना से इंकार नहीं किया जा सकता था। महिला के परिजनों ने डॉ. सतीश राजपूत और उनकी टीम का आभार जताया। वर्तमान में जच्चा और बच्चा दोनों ही पूरी तरह स्वस्थ हैं।