बैतूल। देशभर में यौन शोषण के पीड़ित बच्चों को न्याय दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। शीर्ष अदालत ने सभी राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों को यौन शोषण के पीड़ित बच्चों की सहायता के लिए अनिवार्य रूप से सपोर्ट पर्सन नियुक्त करने का निर्देश दिया है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के प्रस्तावित दिशा-निर्देशों को मंजूरी देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस आदेश का चार हफ्ते में अनुपालन कर रिपोर्ट सौंपे।
इस आदेश के मद्देनजर, मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए काम कर रही गैर-सरकारी संगठन प्रदीपन ने राज्य सरकार से इस आदेश पर तुरंत अमल करने की मांग की है। प्रदीपन संस्था एक्सेस टू जस्टिस कार्यक्रम का सहयोगी संगठन है, जो बच्चों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए काम करता है।
यह है सपोर्ट पर्सन की भूमिका
प्रदीपन संस्था की निदेशक रेखा गुजरे ने बताया सपोर्ट पर्सन वह व्यक्ति होता है जो यौन शोषण के शिकार बच्चों की भावनात्मक और कानूनी रूप से मदद करता है। यह बच्चों को पीड़ा से उबरने में मदद करता है और उन्हें समाज की मुख्य धारा में वापस लाने में सहयोग करता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, सपोर्ट पर्सन की नियुक्ति के लिए संबंधित व्यक्ति के पास सामाजिक कार्य, समाजशास्त्र, मनोविज्ञान या बाल विकास में स्नातकोत्तर डिग्री होना अनिवार्य होगा। इसके अलावा, बाल शिक्षा या बाल सुरक्षा के क्षेत्र में न्यूनतम तीन साल के अनुभव वाले उम्मीदवार भी पात्र होंगे।
बैतूल के प्रदीपन संस्था की अपील
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हुए प्रदीपन संस्था की निदेशक रेखा गुजरे ने कहा, यह एक ऐतिहासिक फैसला है जो यौन शोषण के पीड़ित बच्चों की मदद करेगा। हमने जमीन पर काम करते हुए देखा है कि बच्चों और उनके परिवारों को न्याय दिलाने में कितनी परेशानियां आती हैं। इस फैसले के बाद, पीड़ित बच्चों को उनकी पीड़ा से उबरने में मदद मिलेगी और उनका शोषण करने वाले अपराधी से अदालत में सामना करने का हौसला मिलेगा।
सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय
सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति बी. पी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि पांक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) अधिनियम के तहत लंबित मामलों में पीड़ित बच्चों की सहायता के लिए एनसीपीसीआर के दिशा-निर्देशों के मुताबिक सपोर्ट पर्सन की नियुक्ति सुनिश्चित की जाए।
मानिटरिंग के लिए पोर्टल की मांग
प्रदीपन संस्था ने मांग की है कि इस प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए एक अखिल भारतीय पोर्टल का निर्माण किया जाए। यह पोर्टल आम लोगों के साथ-साथ बाल संरक्षण एजेंसियों, किशोर न्याय बोर्ड (जे. जे. बी.) और बाल कल्याण समितियों (सी. डब्ल्यू. सी.) के लिए सुलभ हो। इस पोर्टल पर प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित क्षेत्र में उपलब्ध सभी सपोर्ट पर्सन की सूची होनी चाहिए। साथ ही, गैर सरकारी संगठनों का एक पैनल भी बनाया जाए जो इन सेवाओं के लिए सी. डब्ल्यू. सी. और जे. जे. बी. के साथ सहयोग कर सके।
यौन शोषण पीड़ित बच्चों की देखभाल और सहायता का प्रयास
इस आदेश के बाद, सपोर्ट पर्सन की नियुक्ति से पीड़ित बच्चों की देखभाल और सहायता का मार्ग प्रशस्त होगा। यह निर्णय बच्चों के पुनर्वास और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से उन बच्चों को न्याय दिलाने का रास्ता साफ होगा जो इस तरह के अपराधों के शिकार हुए हैं। मध्य प्रदेश सरकार से प्रदीपन संस्था ने इस आदेश पर तुरंत अमल करने की अपील की है ताकि बैतूल सहित राज्यभर में यौन शोषण पीड़ित बच्चों को त्वरित और प्रभावी सहायता मिल सके।