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विद्यार्थियों में राष्ट्र के प्रति सर्वोच्च समर्पण का भाव जागृत करना, शिक्षा का मूल ध्येय : तकनीकी शिक्षा मंत्री परमार

भोपाल। विद्यार्थी, राष्ट्र की संपत्ति है। विद्यार्थी, राष्ट्र निर्माण में नींव का पत्थर हैं। शिक्षा का मूल ध्येय, विद्यार्थियों में राष्ट्र के प्रति सर्वोच्च समर्पण का भाव जागृत कर श्रेष्ठ नागरिक निर्माण करना है। यह बात उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री श्री इन्दर सिंह परमार ने मंगलवार को भोपाल के मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (मैनिट) परिसर स्थित सिविल सभागार में आयोजित भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (IIIT) भोपाल के आठवें अभिविन्यास (ओरिएंटेशन) कार्यक्रम "दीक्षारंभ" में सम्मिलित होकर कही। मंत्री श्री परमार ने देश भर से संस्थान में नव-प्रवेशित विद्यार्थियों का राजा भोज की नगरी में अभिनंदन किया और उन्हें उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं प्रेषित की। श्री परमार ने कहा कि पूरे देश भर से प्रवेशित विद्यार्थियों का एकत्रीकरण, संस्थान में लघु भारत को प्रदर्शित करता है। श्री परमार ने कहा कि भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (IIIT) में अध्ययन के उपरांत, रोजगार के लिए अपार संभावनाएं हैं।

तकनीकी शिक्षा मंत्री श्री परमार ने कहा कि भारत, ज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी होकर विश्व को मार्गदर्शन करने वाला राष्ट्र रहा है। हमारे पूर्वजों ने जो श्रेष्ठ जीवन मूल्य स्थापित किए थे, उन मूल्यों के आधार पर राष्ट्र के परम वैभव की पुनः प्राप्ति में सहभागी बनने की आवश्यकता है। स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष में देश को ज्ञान के क्षेत्र में पुनः विश्वगुरु बनाने के लिए विद्यार्थियों को नींव का पत्थर बनना होगा। इसके लिए अपने लोगों, अपने ज्ञान, श्रेष्ठ जीवन पद्धति और अपनी उपलब्धियों पर गर्व करने का भाव जागृत करने की आवश्यकता है। श्री परमार ने विद्यार्थियों को सर्वोच्च समर्पण के साथ राष्ट्र एवं समाज निर्माण में सहभागिता कर शिक्षा के सम्पूर्ण उद्देश्य की प्राप्ति के लिए प्रेरित भी किया। श्री परमार ने कहा कि विद्यार्थियों का शिक्षा अर्जित करने का उद्देश्य मात्र रोजगार प्राप्ति न होकर, समाज के प्रश्नों का समाधान करने में सहभागिता करने वाला श्रेष्ठ नागरिक बनना हो। उन्होंने कहा जिस तरह से हमारे पूर्वजों ने भारत को विश्वमंच पर सिरमौर बनाकर विश्वगुरु बनाया था, उसी तरह हमें भी अपने जीवन को सार्थक बनाकर देश की प्रगति में अपना सर्वोच्च समर्पण देना होगा और भारत को पुनः विश्वमंच पर सर्व शक्तिशाली बनाने की संकल्पना में सहभागिता कर, अपने पूर्वजों का ऋण अदा करना होगा। श्री परमार ने विद्यार्थियों के दीक्षारंभ के लिए अभिविन्यास (ओरिएंटेशन) कार्यक्रम की सार्थकता एवं सफलता प्राप्ति के लिए संस्थान परिवार को शुभकामनाएं भी दी।

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