सपाक्स ने एसीएस टू सीएम को सौंपा ज्ञापन
भोपाल। सुप्रीम कोर्ट के आदेश की आड़ में बीते 8 साल से पदोन्नतियां ठप हैं, जबकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश सामान्य, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग के अनारक्षित कर्मचारियों पर लागू नही होता है। ऐसे में वर्ष 2002 की वरिष्ठता के अनुसार पदोन्नतियां शुरु की जाएं।
यह मांग करते मंगलवार को सामान्य, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी कर्मचारी संस्था (सपाक्स) के प्रतिनिधि मंडल ने एसीएस टू सीएम डॉ. राजेश राजौरा को ज्ञापन सौंपा। इसमें सपाक्स के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. केदार सिंह तोमर, सचिव राजीव खरे, रक्षा दुबे, देवेंद्र सिंह भदौरिया, राकेश नायक, आशीष भटनागर, जेएस गुर्जर, अमरेश, हितेश, श्रीमती चेतना, संदीप, प्रणय, कमल, शोएब सिद्दीकी, एमके श्रीवास्तव आदि शामिल थे। सपाक्स के अनुसार मध्य प्रदेश सरकार पदोन्नति रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट के यथा स्थिति के आदेश का बहाना कर रही है, जबकि सुप्रीम कोर्ट का यथा स्थिति का आदेश अनारक्षित वर्ग के ऊपर लागू नहीं होता है। सिर्फ आरािक्षत वर्ग के कर्मचारियों अधिकारियों को रिवर्ट नहीं करने के संबंध में था। ऐसे में अनारक्षित वर्ग की पदोन्नतियां की जा सकती हैं। इस बारे में मध्य प्रदेश हांईकोर्ट ने भी पदोन्नति नियमों में से मात्र नियम की वह कंडिका निरस्त की है जिनमें पदोन्नति में आरक्षण दिए जाने का प्रावधान है। इसीलिए हाईकोर्ट ने अनारक्षित वर्ग के कई कर्मचारियों की याचिका पर पदोन्नति देने के आदेश दे चुका है। यह भी उल्लेखनीय होगा कि सरकार विभिन्न मुकदमों में सिंगल बेंच, डबल बेंच एवं पुनर्विचार याचिका में हार गई है। वर्तमान में सरकार सुप्रीम कोर्ट में भी हाईकोर्ट के निर्णय के विरुद्ध लगाई गई याचिका में हारने के कारण मप्र सरकार की याचिका खारिज की गई है। ऐसे में बहानेबाजी छोड़कर अनारक्षित वर्ग की पदोन्नतियां तत्काल शुरू की जाएं।