मंदसौर। एमपी हाई कोर्ट की जबलपुर बेंच में हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति विवेक जैन की एकलपीठ ने अपने एक महत्वपूर्ण राहतकारी आदेश में व्यवस्था दी है कि एमपी पुलिस बैंड में लिखित सहमति के आधार पर ही आरक्षकों को शामिल किया जाए। कोर्ट ने साफ किया कि जिनकी सहमति नहीं है, उन्हें उनकी इच्छा के विरुद्ध पुलिस बैंड ट्रेनिंग के लिए मनमाने फरमान जारी कर बाध्य न किया जाए।
मऊगंज और पांढुर्णा के आरक्षकों ने याचिका दायर की थी
दरअसल, एमपी पुलिस के कुछ आरक्षकों को पुलिस बैंड में शामिल होने के लिए डमी टीम के तौर पर ट्रेनिंग में जाने के आदेश जारी हुए थे। जिसके विरुद्ध मंदसौर, मऊगंज और पांढुर्णा के एक दर्जन आरक्षकों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।
आदेश को दो दर्जन से अधिक पुलिस कर्मियों ने चुनौती दी थी
सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट की इंदौर बेंच के न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर की एकलपीठ द्वारा पूर्व में पारित आदेश की रोशनी में याचिकाकर्ताओं को राहत दे दी। इस याचिका में पुलिस मुख्यालय द्वार जारी किए गए आदेश को दो दर्जन से अधिक पुलिस कर्मियों ने चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद सहमति के बिंदु को महत्व देते हुए आदेश पारित किया। इससे याचिकाकर्ता आरक्षकों ने राहत की सांस ली।