वृक्षारोपण के नाम पर हुआ भ्रष्टचार आरटीआई में हुआ खुलासा
गरोठ। मामला गरोठ नगर परिषद के द्वारा दो वर्षों में हुए वृक्षारोपण में लगाए लाखों के बिलो का भुगतान किया गया है 2 वर्षों में हुए वृक्षारोपण में अलग-अलग नर्सरी से जिन पोधो के लाखों के बिल लगाए गए हैं वास्तविक की स्थिति में मौका स्थल पर आधे पौधे भी नहीं है। आर टी आई के द्वारा वृक्षारोपण के संबंध मे नगर परिषद गरोठ से जानकारी मांगी गई थी। नगर परिषद गरोठ में आरटीआई की जानकारी में बताया कि 1 जून 2022 से जून 2024 तक अलग-अलग नर्सरी से लाखों रुपए के पौधे लिए गये । जिसमें महाराणा प्रताप उद्यान में महावीर नर्सरी मंदसौर से 99600 में दो प्रकार के पोंधे लिए गये जिसमें बाटलपाम 84 तथा फाईकस 80 खरीदे गये है महावीर नर्सरी से ही महाराणा प्रताप उद्यान में लगाने के लिए 97500 की घास खरीदी गई है। महाराणा प्रताप उद्यान में ही कमला नर्सरी नीमच से 19800 के पोंधे खरीदे गये है जिसमें बाटलपाम 15 टीकोमा 25 चाइना रोज 25 विद्या 10 फाईकस 15 तथा गुडहल अंग्रेजी के 150 पोंधे खरीदे है।1700 रु के पौधे अंकुर अभियान के तहत नगर में पौधारोपण के लिए 100 पोंधे शासकीय पौधशाला शामगढ़ से खरीदे हैं जिसमें करंज 20 इमली 20 अशोक 20 जामुन 20 केसिया सायमा 20 पौधे खरीदे गए हैं। तथा गोरव दिवस पर पौधारोपण हेतु नारायण नर्सरी से 3960 रु के पौधे खरीदे गए जिसमें अशोक के 7 पौधे बोतल के 27पौधे पीपल के 4 पौधे शीशम के 4 पौधे तथा इमली के 3 पौधे खरीदे गए। दो वर्षों में वृक्षारोपण के नाम पर अलग-अलग नर्सरी से 222560 रु के पौधे तथा घास खरीदी गई। गौरव दिवस तथा अंकुर अभियान के पौधारोपण को छोड़ दिया जाए तो 216900 रु महाराणा प्रताप गार्डन में खर्च किए गए हैं। वर्तमान स्थिति में पौधारोपण के जितने बिल लगाए लगाए हैं जितनी संख्या बताई गई है उतने पौधे वह घास महाराणा प्रताप गार्डन में नहीं है। जितना स्क्वायर फीट के क्षेत्र के घास के बिल के भुगतान किए गए हैं वास्तविक रूप में उतने क्षेत्र में घास लगाई नहीं गई। बारिश के कारण जो घास उगती है वह गार्डन क पूरे क्षेत्र में देखी जा सकती है।