सुरक्षित मातृत्व दिवस कार्यक्रम |
बेगमगंज। द कैथोलिक हेल्थ एसोसिएशन ऑफ़ मध्य प्रदेश की सामर्थ परियोजना के माध्यम से ग्राम तिन्सूआ में राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस का आयोजन किया गया जिसमे ब्लॉक कॉर्डिनेटर छोटू लोधी ने बताया । कि प्रसव के बाद शरीर काफी कमजोर हो जाता है। गर्भावस्था और प्रसव के दौरान शरीर को बहुत नुकसान होता है रिकवर करने के लिए खानपान और लाइफस्टाइल में बदलाव लाना महत्वपूर्ण है। यह मां के साथ-साथ बच्चे की सेहत के लिए जरूरी है।ऐसे में महिलाओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस की पहल की की गई । हर साल 11 अप्रैल का दिन राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने और मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए समर्पित है। इस दिन उन माताओं को सम्मानित करते हैं जो अपनी संतान को जन्म देने के लिए अपना जीवन दांव पर लगा देती हैं।
उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में सबसे ज्यादा मातृत्व मृत्यु दर वाले देशों में से एक है। आंकड़ों की मानें तो भारत में लगभग 12 प्रतिशत महिलाओं की मौत प्रेगनेंसी डिलीवरी के बाद होने वाली परेशानियों के कारण होती है। इस दौरान महिलाओं को खास देखभाल की जरूरत होती है। महिलाओं को प्रेगनेंसी डिलीवरी और पोस्टपार्टम पीरियड के बाद आवश्यक देखभाल के बारे में जागरूक करने के लिए सुरक्षित मातृत्व दिवस मनाया जाता है।
साल 2003 में व्हाइट रिबन एलायंस इंडिया के अनुरोध पर भारत सरकार ने 11 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की थी जिसे साल 2005 में पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर इस दिवस को मनाया गया। इस दिन को एक खास थीम के साथ मनाया जाता है। राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस के मौके पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। शहर गांव और कस्बों में मेडिकल टीमें जाकर महिलाओं को प्रेगनेंसी डिलीवरी और पोस्टपार्टम पीरियड के बारे में जागरूक करती है।
कार्यक्रम में उपस्थित आशा कार्यकर्ता , ब्लॉक कॉर्डिनेटर छोटू लोधी , एजेन्सी,पीएनसी महिलाए और अन्य ग्रामीण उपस्थित रहे।