भोपाल। खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग की अपर मुख्य सचिव का एक फरमान मध्य प्रदेश के निजी वेयर हाउस संचालकों के लिए संकट का कारण बन गया है। एसीएस स्मिता भारद्वाज ने समस्त कलेक्टरों को निर्देश जारी किए हैं कि निजी गोदामों में (अंदर और परिसर में) विगत वर्ष का उपार्जित अथवा अन्य व्यक्तियों का गेहूं भंडारित होने की दशा में ऐसे निजी गोदामों पर गोदाम स्तरीय उपार्जन केंद्र / उपार्जित स्कंध का भंडारण न किया जाए।
वहीं गोदाम एवं गोदाम परिसर में कोई भी गेहूं भंडारित न होने पर ही गोदाम स्तरीय उपार्जन केंद्र /भंडारण कराया जाए। यह व्यवस्था रबी विपणन वर्ष 2024-25 में समर्थन मूल्य गेहूं उपार्जन के लिए किसान पंजीयन एवं उपार्जन केंद्र निर्धारण को लेकर की गई है। इस निर्देश के बाद निजी वेयर हाउस संचालकों में भारी आक्रोश है।
एसोसिएशन आफ वेयर हाउस आनर्स मप्र के प्रदेश अध्यक्ष नवनीत रघुवंशी का कहना है कि इस निर्णय से गोदाम संचालकों को अत्यधिक हानि होगी एवं वेयर हाउस बनाने के लिए लिया गया बैंकों का ऋण भी नहीं चुका पाएंगे। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश वेयरहाउसिंग एंड लाजिस्टिक कार्पोरेशन की भी जानकारी में है कि विगत वर्ष उपार्जन के समय ही भारतीय खाद्य निगम द्वारा गेहूं का ए मोड में उपार्जन के समय ही गेहूं का उठाओ कर लिया गया था एवं कुछ माह में आठ मोड में भी शेष गेहूं का उठाव कर लिया गया।
कुछ गोदाम में 10 से 15 प्रतिशत तक गेहूं बचा है इन गोदामों में भी गोदाम स्तरीय उपार्जन केंद्र स्थापित किए जाने चाहिए अन्यथा गोदाम संचालकों को अत्यधिक हानि होगी। इससे मध्य प्रदेश के लगभग 6000 वेयर हाउस संचालक प्रभावित होंगे। गोदाम में स्कंद का भंडारण ना करके सरकार द्वारा ओपन कैप और साईलो बैग में भंडारण करने से पूर्व में करोड़ों का स्कंध खराब कर चुकी है।
निर्णय की मुझे जानकारी नहीं : राजपूत
वेयर हाउस को लेकर जो निर्णय हुआ है। इस संबंध में मुझे जानकारी नहीं है और न ही यह निर्णय लेते समय कोई चर्चा की गई या सहमति ली गई है। मैं इस मामले को दिखवाऊंगा और आवश्यकता पड़ी तो मुख्यमंत्री से चर्चा करूंगा।
-गोविंद सिंह राजपूत, मंत्री खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण।