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महादेव सट्टा मामला : पूर्व सीएम भूपेश बघेल के खिलाफ ईओडब्ल्यू ने दर्ज किया एफआईआर…

रायपुर। महादेव सट्टा एप मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल घिरते नज़र आ रहे हैं. ऐन चुनाव के पहले ईओडब्ल्यू ने भूपेश बघेल समेत 21 अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है. यह एफआईआर 4 मार्च को दर्ज की गई थी, लेकिन इसका खुलासा अब हुआ है. ईओडब्ल्यू ने ईडी के दिये आवेदन पर एफआईआर दर्ज किया है. इससे पहले ईडी ने महादेव सट्टा एप मामले में कोर्ट में दिए अपने पूरक चालान में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नाम का ज़िक्र किया था. इसे भी पढ़ें : पॉवर सेंटर : चंदा..पर्ची..गुजरात फार्मूला..इनोवेटिव कलेक्टर..मुहर…- आशीष तिवारी

बता दें कि राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने ईडी के प्रतिवेदन पर महादेव बुक सट्टा एप के प्रमोटर्स सहित कारोबारियों और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अपनी प्राथमिकी में साजिश, जालसाजी और भ्रष्टाचार का प्रकरण दर्ज किया गया है. इसमें बताया गया कि सिडिंकेट बनाकर महादेव एप के जरिए सट्टे का खेल खिलाया जा रहा था.

इसके पूर्व प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने महादेव एप को लेकर न्यायालय में दिए प्रतिवेदन में बताया था कि महादेव बुक एप के प्रमोटर्स रवि उप्पल, शुभम सोनी, सौरभ चंद्राकर, अनिल कुमार अग्रवाल ने विभिन्न लाइव गेम्स में अवैध सट्टेबाजी के लिए ऑफ लाइन सट्टेबाजी के स्थान पर विकल्प के रूप में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का निर्माण कर वाट्सएप, फेसबुक, टेलीग्राम जैसे माध्यमों से विभिन्न वेबसाइट के जरिए सट्टा खिलाया.

महादेव बुक एप के प्रमोटर्स ने ऑनलाइन बैटिंग एप के विरूद्ध वैधानिक कार्यवाही को रोकने के लिए विभिन्न पुलिस व प्रशासनिक अधिकारीगण तथा प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्तियों का संरक्षण प्राप्त किया गया, जिसके एवज में उन्हें नियमित तौर पर प्रोटेक्शन मनी के रूप में भारी राशि दी गयी. उक्त अवैध राशि की व्यवस्था एवं वितरण हेतु हवाला ऑपरेटरों का इस्तेमाल किया गया, साथ ही पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों को अवैध प्रोटेक्शन मनी वितरण के लिए पुलिस अधिकारियों/कर्मचारियों का भी उपयोग किया गया.

यह प्रोटेक्शन मनी की राशि हवाला ऑपरेटरों के माध्यम से राशि वितरण करने वाले पुलिस अधिकारी एवं कर्मचारी तक पहुंचती थी, जिसे उनके द्वारा संबंधित पुलिस / प्रशासनिक अधिकारियों तथा प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्तियों को वितरीत की जाती थी. विभिन्न पुलिस, प्रशासनिक अधिकारी एवं प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्तियों द्वारा अपने पद का दुरूपयोग करते हुए प्रोटेक्शन मनी के रूप में अवैध आर्थिक लाभ प्राप्त करते हुए अवैध संपत्ति अर्जित की गई है.

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