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मत बताना कि बिखर जाएं तो क्या होता है, नई नस्लों को नए ख्वाब सजाने देना, जां निसार अख्तर को समर्पित मध्यावर्त साहित्योत्सव का आयोजन…

भोपाल। शहर की साहित्यिक संस्था जश्न-ए-अल्फ़ाज़ द्वारा मध्यावर्त साहित्योत्सव आयोजन किया गया। जाँ निसार अख्तर को समर्पित यह कार्यक्रम चार सत्रों में रहा जिसका प्रारम्भ मध्यावर्त की अवधारणा और जाँनिसार अख्तर पर शिवाजी राय के वक्तव्य के साथ प्रारम्भ हुआ। कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में जावेद खान और सुश्री अंशिका कसाना ने जाँ निसार अख्तर की नज़्म ख़ामोश आवाज़ का नाटकीय पाठ प्रस्तुत किया। तत्पश्चात मशहूर गज़़ल गायक उस्ताद सलीम अल्लाहवाले ने शाम-ए-गज़़ल सत्र में जाँ निसार अख्तर द्वारा लिखी गयी गज़़लों की संगीतमयी प्रस्तुति दी और मध्यावर्त काव्य प्रतियोगिता के विजेता रहे राहुल कुम्भकार ने अपनी कविताओं की प्रस्तुति दी और समां बांधा। इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण अखिल भारतीय ग्राण्ड मुशायरा रहा जिसमें देश के अलग अलग शहरों से आए शायरों ने अपनी शायरी से दर्शकों की वाहवाही लूटी। मुशायरे का प्रारंभ युवा शायरा निहारिका सिंह ने किया जिन्होंने बाद यही हर ओर चले हैं, किसपे किसका जोर चले हैं पढ़ा।

हिमाचल से आये नौजवान पीढ़ी के शायर ऋषभ शर्मा ने पानी की चोट चोट है कच्चे घडों से पूछ, कम उम्र में बियाही गयी लड़कियों से पूछ, पढ़ा जिस पर दर्शकों ने खूब वाहवाही की। दिल्ली से भोपाल पधारे कुशल ने वो अपनी जिंदगी और दोस्तों में है मशरूफ़, मेरी तमाम परेशानियों से क्या उसको, शेर पढ़ा। युवा दिलों की धडक़न अमीर इमाम ने- मत बताना कि बिखर जाएं तो क्या होता है, नई नस्लों को नए ख्वाब सजाने देना, पढ़ा जिस पर दर्शक झूम उठे। ग्वालियर से पधारी शायरा सुश्री रश्मि सबा ने हम बनाते हैं कोई राहगुजऱ रोज नई, रोज़ दीवार ज़माने ने उठाई हुई है शेर कहते हुए अपनी शायरी पढ़ी। युवाओं के चहेते शायर अज़हर इक़बाल की शायरी पर दर्शकों ने खूब दाद लुटाई। 

उन्होंने पढ़ा बहुत अज़ीब है यारों बिलंदियों का तिलिस्म, जो एक बार गया लौट कर नहीं आया। कार्यक्रम की सदारत शारिक़ कैफ़ी ने की। उन्होंने अपने प्रतिनिधि शेर पढे। उन्होंने पढ़ा दुनिया शायद भूल रही है चाहता कुछ ऊंचा सुनती है। मुशायरे का संचालन शहर के शायर बद्र वास्ती ने किया। कार्यक्रम के समापन पर आभार ईशान सक्सेना ने व्यक्त किया। जश्ने अल्फाज के अध्यक्ष विशाल सिंह ठाकुर ने बताया कि मध्यावर्त जश्न-ए-अल्फ़ाज़ का वार्षिक साहित्योत्सव है जिसे प्रतिवर्ष मध्यभारत की किसी एक साहित्यिक हस्ती को समर्पित करते हुए आयोजित किया जाता है जोकि इस वर्ष मशहूर शायर व साहित्यकार जाँनिसार अख्तर तो समर्पित रहा। 

सर्व सिद्धा शिक्षा एवं समाज कल्याण समिति के संस्थापकों ममता तिवारी एवं संजय तिवारी ने जश्न ए अल्फ़ाज़ को इस आयोजन के लिए शुभकामनाएं दीं और प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की। 

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