बेगमगंज। मदारिस का काम हो या तबलीग का या खानकाओं का इसमें किए जाने वाले सारे काम उलमाओं के मशवरे से करना चाहिए। यह एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और सब का मकसद एक है मदरसो में जहां बच्चों पर मेहनत की जाती है वही तबलीग में बड़ों को दीन सिखाया जाता है और यही काम खानकाओं में भी किया जाता है। और जिंदगी गुजारने के लिए बुजुर्गों की सोहबत भी जरूरी है। होना तो यह चाहिए कि हर इंसान को आलिम बनना चाहिए, आलिम ना बन पाए तो मुताल्लिम बन जाए, अगर वह भी ना बन पाए तो अलेमाओं की बात सुनने वाला बन जाए और उनका एहतराम करने वाला बन जाए और अपना हर काम उलेमाओं की मशवरे से करना सीख जाए।
मदरसा मिसबाहउल उलूम मरकज मस्जिद के सालाना जलसे में मंडी बामोरा से तशरीफ़ लाए मरहूम कारी खलील साहब रह. के लखते जिगर मुफ्ती युसूफ खान ने उक्त बात कही। उन्होंने कहा कि आज के इस पुरफितन दौर में हमें एक सच्चा पक्का मुसलमान बनकर दीन पर जिंदगी गुजारना है। हमारी जिंदगियों से नबी के तरीके ना छूट पाए हमें अपने बच्चों की सही तबीयत करना है। हालात आते हैं चले जाते हैं लेकिन दीन हमेशा कायम रहने वाली चीज है हमारी कोशिश हो कि हम दीन पर चलें और ईमान पर हमारा खातमा हो।
उन्होंने मदारिस के निजाम और काम करने वालों को लेकर भी तफसील से रोशनी डाली। आने वाली शबे बराअत के मुतालिक भी लोगों को नबी के बताए तरीके पर इबादत करने और खुराफात से बचने की नसीहत की।
जलसे की शुरुआत तिलावत ए कलाम पाक से की गई ।पैगंबरे इस्लाम की खिदमत में नात शरीफ का नजराना पेश किया गया और मस्जिद के सदर हाफिज मो. इलियास ने रुमाल उढ़ाकर मेहमानों की इज्जत अफजाई की। जलसे की निजामत मुफ्ती जुनैद खां ने की। आए हुए लोगों का शुक्रिया मौलाना अब्दुल रहमान नदवी ने किया।
जलसे मैं खुसूसी तौर पर मौलाना नजर मो. गोंडवी, बुजुर्ग हाफिज सैयद अकबर अली, जमीयत उलेमा के सदर मौलाना सैयद जैद, सेक्रेटरी मौलाना सामिद नदवी, मौलाना अदनान बारी नदवी, मौलाना जैद जुल्फी, मुफ्ती सैयद फ़राज़ खान, कारी अब्दुल रज़्ज़ाक़ खान, कारी इरशाद अली, मौलाना इकबाल खान, हाफिज अशफाक खान, समेत बस्ती के दीगर उलेमा हाफिज व खुसूसी लोग मौजूद थे। जलसा मुल्क में अमन-चैन की दुआ के साथ समाप्त किया गया।