भोपाल। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने देश की समृद्ध संस्कृति को आधार और शिक्षा के महत्व को वास्तविक अर्थों में समाहित करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लागू की है। व्यापक विचार और मंथन के साथ नवीन शिक्षा नीति में हमारी गौरवशाली सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, ऐतिहासिक और सामाजिक विरासत का समावेश किया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुसरण में प्रदेश में भारतीय ज्ञान परम्परा के अनुरूप शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन हो रहा है। नवीन शिक्षा नीति के माध्यम से हमारा खोया हुआ गौरव वापस लौट रहा है, जिससे भारत अपनी "वसुधैव कुटुंबकम" की परंपरा को स्थापित करते हुए पुनः विश्व गुरु के परम वैभव की प्राप्ति की ओर अग्रसर है। यह बात उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री श्री इन्दर सिंह परमार ने भोपाल के लालघाटी स्थित गुफा मंदिर में "राजा भोज पंवार (परमार) समाज संगठन, भोपाल" द्वारा आयोजित "स्नेह सम्मेलन एवं प्रतिभा सम्मान समारोह" में सम्मिलित होकर कही।
मंत्री श्री परमार ने परंपरागत ज्ञान और पुरातन चिकित्सा पद्धति "आयुष" पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कोरोना के भीषण संकटकाल में आयुर्वेद ने अपनी उपयोगिता एवं विश्वसनीयता सिद्ध की है। समाज में देश की परंपरागत विधा "आयुर्वेद" को पुर्नस्थापित करने में हम सभी की सहभागिता आवश्यक है। आयुर्वेद के संरक्षण एवं व्यापक प्रसार के लिए भारतीय परंपरा के अनुरूप विज्ञानगत शोध करने की आवश्यकता है। आयुर्वेद को चिकित्सा की मुख्य धारा में लाने के लिए हम सभी का योगदान आवश्यक है। श्री परमार ने कहा कि स्नेह सम्मेलन में स्वजनों से मिले स्नेह, आत्मीय क्षण और समाज के प्रतिभावान बच्चों को सम्मानित कर मिली गौरवीय अनुभूति से अभिभूत हूं। इस अवसर पर श्री परमार ने समाज के लोगों से विश्वगुरु राष्ट्र के पुनर्निर्माण के संकल्प को गति देने के लिए समाज की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए आह्वान किया। श्री परमार ने कहा कि "विश्वगुरू भारत" के परम वैभव की प्राप्ति में परमार समाज की उल्लेखनीय सहभागिता हो, इसके लिए समाज के लोग संकल्प के साथ राष्ट्र के पुनर्निर्माण में सहभागी बनें।
इस दौरान श्री परमार ने समाज के यूपीएससी परीक्षा और एमपी पीएससी में चयनित बच्चों सहित बोर्ड परीक्षाओं में उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त करने वाले बच्चों को सम्मानित किया और उन्हें उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं भी दीं।