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वसंत पर्व पर,गीत संगीत और कविताओं का हुआ भव्य आयोजन

काव्य सरिता आयोजित

बेगमगंज।  नगर में रिदम म्यूज़िकल ग्रुप और काव्य सरिता का संयुक्त आयोजन "वसंत पर्व " उल्लास पूर्वक प्रदीप सोनी 'शून्य' के निवास पर मनाया गया। वसन्त पंचमी ,सरस्वती जयंती और साहित्य पुरोधा सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" जयंती पर कविता ,गीत संगीत का सौंदर्य कलाकारों ने प्रदर्शित किया । सर्वप्रथम कला की देवी वीणापाणि माँ सरस्वती को  सुमन अर्पित कर दीप प्रज्ज्वलित किया गया। मनीष सोनी , अभिलाष श्रीवास्तव ने संगीतमय आराधना " हे शारदे माँ ,हे शारदे माँ " प्रस्तुत की। अनिल नामदेव ने "इक प्यार का नगमा है मौजों की रवानी है।" सुना कर आनन्दित कर दिया। हरिओम भार्गव ने किशोर कुमार के गीत "चला आता हूँ किसी की धुन पर " गाकर भाव विभोर कर दिया। कवि सुरेश नायक ने अपनी कविता के माध्यम से वसंत से कुछ इस तरह कुशलता जानी "कहो वसंत तुम कैसे हो। बदल गए हो या जैसे थे वैसे हो। " युवा कलाकार रामेन्द्र ठाकुर ने "दिल है कि मानता नहीं "गा कर वाह वाही लूटी। प्रदीप सोनी शून्य ने अपनी कविता में वसंत के प्रति शिकायत भरे अंदाज़ में कहा -" जहाँ पतझर वंदनवार बाँधते ,विरासत में मिलती पीड़ाएँ । वहाँ वसंती कैसे चलें हवाएँ।" अभिलाष श्रीवास्तव ने "मुसाफिर हूँ यारो न घर है न ठिकाना "सुनाया। संगीत साधक हेमन्त कुमार को याद करते हुए मनीष सोनी ने "नींद न मुझको आए" गाया। वसंत पर्व में अन्य कवियों और संगीत प्रेमियों में पवन सोनी ,प्रसंग सोनी ने भी अपनी प्रस्तुति दी। कार्यक्रम के अंत मे पुलवामा के शहीदों को सभी ने भावभीनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की।


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