रतलाम। के समीप नवनिर्मित एवं सुदर्शनीय दिगंबर जैन शीतल तीर्थ के पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव की पूर्व बेला में दो दिवसीय (17-18 फरवरी) राष्ट्रीय जैन विद्वत सम्मेलन का आज प्रातः शुभारंभ हुआ जिसमें देश के विभिन्न शहरों से पधारे लगभग 30 लब्ध प्रतिष्ठित जैन विद्वान धर्म, संस्कृति, और आगम से संबंधित विषयों पर अपने आलेखों का वाचन करेंगे।
प्रथम दिवस आज प्रातः सम्मेलन के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता अखिल भारतीय दिगंबर जैन विद्वत परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर अशोक जैन वाराणसी ने की। मुख्य अतिथि थे दिगंबर जैन महा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक बड़जात्या इंदौर एवं विशिष्ट अतिथि देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर के पूर्व कुलपति डॉ नरेंद्र धाकड़ एवं शास्त्री परिषद के महामंत्री ब्रह्मचारी जयकुमार जैन निशांत टीकमगढ़ और विद्वत परिषद दिल्ली के मंत्री प्रोफेसर विजय कुमार जैन थे। प्रारंभ में मंगलाचरण तीर्थ अधिष्ठात्री डॉक्टर सविता जैन ने किया एवं तीर्थ के महामंत्री डॉ अनुपम जैन ने विद्वत सम्मेलन पर केंद्रित प्रस्ताविक वक्तव्य दिया एवं संचालन डॉक्टर संजीव सराफ सागर ने किया। इस अवसर पर डॉक्टर अनुपम जैन की कृति आचार्य श्री योगीन्द्रसागरजी एवं शीतल तीर्थ का विमोचन भी अतिथियों ने किया।
दोपहर में सम्मेलन के प्रथम तकनीकी सत्र में प्रोफेसर पी एन मिश्र की अध्यक्षता में डॉक्टर संजीव सराफ, सागर ने आचार्य योगीन्द्र सागर जी का समाज निर्माण में योगदान, ब्रह्मचारी जयकुमार जैन निशांत टीकमगढ़ ने पंचकल्याणक प्रतिष्ठा विधि में विसंगतियां, डॉक्टर सुरेखा मिश्रा ने आचार्य श्री योगीन्द्र सागर जी का योगदान एवं श्रीमती उषा पाटनी इंदौर ने सेवा का धाम शीतल तीर्थ विषय पर अपने आलेख का वाचन किया । संचालन डॉ सरोज जैन उदयपुर ने किया। सायंकालीन द्वितीय तकनीकी सत्र में प्रोफेसर एस के बंडी की अध्यक्षता में डॉक्टर अनिल कुमार जैन जयपुर ने जैन कर्म सिद्धांत पर, प्रोफेसर डॉ अशोक जैन वाराणसी ने समण और णिग्गंथ का पारस्परिक संबंध एवं ग्वालियर से पधारी डॉक्टर अल्पना अशोक जैन मोदी ने जैन ग्रंथों के संदर्भ में लिपि ज्ञान की विवेचना विषय पर आलेख का वाचन किया। संचालन डॉक्टर राजेंद्र जैन महावीर ने किया। सम्मेलन में
तीर्थ के अध्यक्ष श्री कमल ठोलिया चेन्नई, नरेंद्र रारा गुवाहाटी, हसमुख जैन गांधी आदि अनेको स्थानीय एवं बाहर के समाज श्रेष्ठि उपस्थित थे।
स्मरणीय है कि शीतल तीर्थ की पंचकल्याणक प्रतिष्ठा एवं महा मस्तकाभिषेक दिनांक 22 फरवरी से 28 फरवरी तक आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य में होगी जिसमें देश भर से हजारों की संख्या में श्रद्धालु सम्मिलित होकर धर्म लाभ प्राप्त करेंगे।