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नर्सिंग फर्जीवाड़े पर हाईकोर्ट हुआ सख्त, 200 और नर्सिंग कॉलेजों की भी होगी CBI जांच

जबलपुर। मध्य प्रदेश नर्सिंग फर्जीवाड़े के मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस अचल कुमार पालीवाल की स्पेशल बेंच ने भारी नाराजगी और आश्चर्य व्यक्त करते हुए सरकार से अपात्र कॉलेजों को मान्यता देने वालों पर कार्रवाई करने और नर्सिंग फर्जीवाड़े से जुड़ी लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की जनहित याचिका के साथ लगभग 50 सुनवाई के आवेदन पर जवाब प्रस्तुत करने को कहा है।

हाईकोर्ट (Madhya Pradesh Highcourt) में सोमवार को नर्सिंग फर्जीवाड़े से जुड़ी लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन (Law Student Association) के अध्यक्ष विशाल बघेल की जनहित याचिका के साथ लगभग 50 मामलों की एक साथ सुनवाई हुई. इस दौरान हाईकोर्ट को बताया गया कि अभी मात्र 364 नर्सिंग कॉलेज (Nursing College) की जांच सीबीआई ने की है, जबकि पिछले तीन वर्षों में लगभग 700 से ज्यादा नर्सिंग कॉलेज मध्य प्रदेश में खुले हैं.

उन्होंने इस याचिका में ये भी दावा किया है कि नए खोले गए कॉलेज भी मापदंडों को पूरे नहीं करते हैं. लिहाजा, याचिकाकर्ता विशाल बघेल ने बचे हुए उन कॉलेजों की भी जांच की मांग की. इसके साथ ही सत्र 2022-23 में नए खुले फर्जी नर्सिंग कॉलेजों के फोटो भी हाईकोर्ट में पेश किए, जिस पर मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस अचल कुमार पालीवाल की स्पेशल बेंच ने भारी नाराजगी और आश्चर्य व्यक्त करते हुए सरकार से अपात्र कॉलेजों को मान्यता देने वालों पर कार्रवाई करने और नर्सिंग फर्जीवाड़े से जुड़ी लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की जनहित याचिका के साथ लगभग 50 सुनवाई के आवेदन पर जवाब प्रस्तुत करने को कहा है. हाई कोर्ट ने मौखिक रूप से यह भी टिप्पणी की है कि यदि आवश्यकता पड़ी, तो हाईकोर्ट स्वयं मौके पर जाकर वस्तुस्थिति का आकलन करेगा।

राज्य शासन की ओर से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने आवेदन पेश कर सीबीआई जांच में अपात्र पाए गए कॉलेजों के छात्रों को दूसरे संस्थानों में शिफ्ट करने की बात कही. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जिन कॉलेजों में छोटी-मोटी कमियां पाई गई है, उनमें कमी को दूर कराने के लिए समय देने की मांग की. वहीं, अत्यधिक कमी वाले संस्थानों को बंद करने संबंधी अनुशंसा करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन करने का प्रस्ताव कोर्ट में दिया. उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी के कुलपति की अध्यक्षता और संचालक चिकित्सा शिक्षा एवं दो मेडिकल कॉलेज के डीन की कमेटी बना कर पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की जाए , फिर इसके आधार पर ही फर्जी संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

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