स्वर्गीय हाजी वली मो,. मंसूरी |
बेगमगंज। नहीं है ना उमीद इकबाल अपनी किश्त ए वीराँ से जरा नम हो तो ये मिट्टी बहुत जरखेज है साकी, बेशक बेगमगंज की सरजमी बड़ी जरखे है, मैं बात कर रहा हूं उस शख्सियत की जिन्होंने अपने नरम लहजे और बेबाक अंदाज से कौम की खिदमत करके इलाके में अपनी एक अलग पहचान बनाई थी, जिन्हें लोग अदबन दादा के नाम से पुकारते थे, पांच नंबर बड़ी ब्रांच के पीछे रहने वाले स्वर्गीय हाजी वली मो. मंसूरी की जो हम सब से 2 फरवरी 2006 करीब 18 साल पहले जुदा होकर मालिके हकीकी से जा मिले। बिजनिस की लाइन में भी आपने अलग मुकाम हासिल किया था। शहर की नामवर शख्सियतों में आपका शुमार किया जाता था।
उक्त बात उनकी 18वीं वर्षी पर शिद्दत से याद करते हुए रफीक नवाब ने कही। डॉक्टर मोइन खान ने उन्हें याद करते हुए कहा कि समाज को ऊपर उठाने में आपने अहम किरदार अदा किया आपकी यादें आज भी लोगों के दिलों में बसी हुई हैं कभी किसी खास मौके पर लोग आपके आला किरदार की मिसालें दिया करते हैं। बड़ों का बेहद अदब किया करते थे, छोटों से भी अखलाक के साथ पेश आते थे और बच्चों पर बहुत शफक्कत किया करते थे। झूठ से आपको बहुत नफरत थी। आप लोगों को सच बोलने की नसीहत करते देखे जाते थे।
किसी शायर ने क्या खूब कहा है -अच्छे किरदार और अच्छी सोच वाले लोग हमेशा याद रहते है, दिलों में भी, लफ्जों में भी, और दुआओं में भी। इस अवसर पर हाफिज सादिक खान, अद्दू खां पटेल, हाजी फिरोज खां, मो, बाबर, हाजी नफीस नवाब, छोटे मुन्ना दाना, एहफाज सौदागर, गुड्डू भाई टेलीफोन, नईम खान, शब्बीर अहमद पत्रकार, उनके परिजनों में रफीक मंसूरी, रशीद मंसूरी, सलीम मंसूरी, रईस मंसूरी, अनीस मंसूरी पत्रकार, फहीम मंसूरी पत्रकार, फुरकान मंसूरी, सद्दाम खान नाकेदार, शफीक मंसूरी मास्टर,
मंसूरी समाज नगर अध्यक्ष राशिद मंसूरी, हारिस मंसूरी, आरिफ मंसूरी इंजीनियर, शानू मंसूरी पत्रकार, शादाब मंसूरी, लईक मंसूरी, कल्लू खां मंसूरी, गफूर खां मंसूरी समेत परिवार के अन्य सदस्यों ने शिद्दत से याद करते हुए खिराजे अकीदत पेश की।