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MP: पूर्व सीएस इकबाल सिंह बैस सहित केंद्र-राज्य सरकार के 9 अफसर अवमानना के दोषी करार… भोपाल गैस पीड़ितों को लेकर हाईकोर्ट का फैसला

जबलपुर। भोपाल गैस पीड़ितों को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। गैस पीड़ितों को सही इलाज, शोध की व्यवस्था न देने, सुप्रीम कोर्ट के भोपाल गैस पीड़ितों के स्वास्थ्य के मामले में 2012 के आदेश की अवमानना करने पर केंद्र और राज्य सरकार के 9 अधिकारियों पर केस चलाने का आदेश दिया है। इस मामले में 16 जनवरी तक जवाब प्रस्तुत करने को कहा गया है। 17 जनवरी को मामले में सुनवाई होगी।

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के जस्टिस शील नागू और देवनारायण मिश्र की खंडपीठ ने अधिकारियों के विरुद्ध कठोर कदम उठाने और न्यायालय की अवमानना अधिनियम 1971 की धारा 2 के तहत मुकदमा चलाने का आदेश दिया है।

गैस पीड़ितों के प्रति असंवेदनशीलता, कोर्ट के आदेश को लेकर लापरवाही

खंडपीठ द्वारा इन सभी अधिकारियों पर लगाए गए चार्ज में लिखा है, ‘सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित निगरानी समिति के जुलाई 2023 की रिपोर्ट निगरानी समिति की रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि 10.5 वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बावजूद आप सभी प्रतिवादियों ने सर्वोच्च न्यायालय के साथ-साथ इस न्यायालय के निर्देशों का पालन करने में कोई तत्परता या ईमानदारी नहीं दिखाई है। गैस पीड़ितों को अधर में छोड़ दिया जा रहा है। आप सभी प्रतिवादियों ने इन आदेश के अनुपालन की प्रक्रिया इतनी दिलाई की है कि आप सभी ने पीआईएल की अवधारणा को एक मजाक बना दिया है। इस न्यायालय को गैस पीड़ितों के प्रति आपकी असंवेदनशीलता को छोड़कर आपके उत्तरदाताओं की ओर से ढिलाई के पीछे कोई अच्छा कारण नहीं दिखता है’।

इन अधिकारियों पर कार्रवाई

भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण, भारत सरकार के रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के सचिव आरती आहूजा, भोपाल मेमोरियल अस्पताल एवं रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर डॉ. प्रभा देसिकान, नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर रिसर्च ऑन एनवायर्नमेंटल हेल्थ के संचालक डॉ. आरआर तिवारी, तत्कालीन मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस, अतिरिक्त मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान, राज्य सूचना अधिकारी अमरकुमार सिन्हा, एनआईसीएसआई विनोदकुमार विश्वकर्मा और आईसीएमआर भारत सरकार के सीनियर डिप्टी संचालक आर. रामा कृष्णन।

फैसले का स्वागत

भोपाल ग्रुप फॉर इनफार्मेशन एन्ड एक्शन की रचना ढिंगरा ने बताया, न्यायपालिका के इस आदेश हम सभी गैस पीड़ित संगठन स्वागत करते हैं। आदेश को मिसाल बनाना चाहिए। ताकि जिन अधिकारियों की वजह से गैस पीड़ितों की स्वास्थ्य व्यवस्था की यह हालत बनी है, उन सभी को मिसालदायक सजा भी मिलनी चाहिए।

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