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विचार भिन्नता नहीं विचार शून्यता समस्या है : गडकरी

रघु ठाकुर की पुस्तक 'गांधी-आंबेडकर : कितने दूर कितने पास' के उड़िया और मराठी संस्करण का  लोकार्पण

नागपुर। अपनी विचारधारा के साथ कार्य करने वालों में से एक हैं रघु ठाकुर। इसलिए मैं उनका सम्मान करता हूं। वे अपने विचारों के प्रति प्रमाणिक है। विचार भिन्नता समस्या नहीं, बल्कि विचार शून्यता समस्या है। यह बात केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कही । 

लोहिया अध्ययन केंद्र की ओर से गांधीवादी विचारक - समाजवादी चिंतक रघु ठाकुर की पुस्तक 'गांधी-आंबेडकर : कितने दूर कितने पास' के उड़िया और मराठी संस्करण का  लोकार्पण शनिवार को नितिन गडकरी के हस्ते प्रेस क्लब, सिविल लाइंस में आयोजित समारोह में हुआ। इस अवसर पर वे बोल रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. गिरीश गांधी, अध्यक्ष, वनराई ने की। विशेष अतिथि के रूप में वरिष्ठ पत्रकार  एस. एन. विनोद, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. श्रीपाद भालचंद्र जोशी,  वरिष्ठ विज्ञान संचारक ब्रम्हानंद स्वाई उपस्थित थे।लेखक रघु ठाकुर, उड़िया अनुवादक डॉ. नचिकेता शर्मा, भुवनेश्वर, मराठी अनुवादक  श्रीमती मंदाकीनी भिल (घाईट), अकोला प्रमुखता से उपस्थित थे। 

नितिन गडकरी ने कहा कि गांधी अंबेडकर कितने दूर कितने पास पुस्तक में रघु ठाकुर ने अपनी बात पूरी पारदर्शिता और निर्भीकता के साथ रखी है उन्होंने कहा कि समाज हित में एक मत होना आवश्यक है। विचारधारा के साथ इनोवेशन और टेक्नोलॉजी भी जरूरी है। हमारी आर्थिक और सामाजिक संरचना समता मूलक और गांव गरीब का कल्याण करने वाली होनी चाहिए। आर्थिक और सामाजिक विकास में गांधी अंबेडकर के विचारों का महत्व है। अनेकता में एकता ही हमारी विशेषता है।  विचारों से देश आगे बढ़ेगा तो गांधी और आंबेडकर का सपना पूरा होगा। उन्होंने कहा कि विरोधी के विचारों का भी सम्मान करना चाहिए यही लोकतंत्र है। 

गांधी और आंबेडकर की विचारों की हत्या करने की कोशिश : एस एन विनोद

विशेष अतिथि वरिष्ठ पत्रकार एस एन विनोद ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि गांधी और  आंबेेडकर को लेकर एक साजिश के तहत भ्रांतियां पैदा की गई। गांधी और आंबेडकर की विचारों की हत्या करने की कोशिश की जा रही है। असहिष्णुता के कारण वर्तमान राजनीति का क्षरण हो रहा है। वोट बैंक के लिए नेहरू जैसे महापुरुष की आलोचना का फैशन चल पड़ा है। भारत में लोकतंत्र की हत्या कोई नहीं कर सकता आज का समाज चैतन्यशील है। अभिव्यक्ति की आजादी पर मंडरा रहे संकट की ओर संकेत करते हुए उन्होंने कहा कि वाणी की स्वतंत्रता पर अंकुश को रोकना जरूरी है।

सभी विचारधाराएं मानव मुक्ति के साधन : जोशी


प्रख्यात साहित्यकार श्रीपाद भालचंद जोशी ने गांधी और आंबेडकर को देश के अहम चिंतक बताते हुए कहा कि उनकी विचारधारा ही देश के स्वराज को सुराज में बदल सकती है। डॉ राममनोहर लोहिया ने गांधी और आंबेडकर के विचारों को आगे बढ़ाया। गांधी, आंबेडकर और लोहिया के विचारो में समानता बताते हुए उन्होंने कहा कि गांधी और आंबेडकर के बीच दूरी बनाए रखने के पीछे राजनीति है। आज का युवा साम्य में खोज रहा है। भेदों को उजागर करने के बजाय साम्यता के लिए प्रयास करना चाहिए। सभी विचारधाराएं मानव मुक्ति के साधन है। उन्होंने रघु ठाकुर की पुस्तक को महाराष्ट्र के हर गांव में पहुंचाने पर जोर दिया।

गांधी और आंबेडकर का साथ आना जरूरी : गिरीश गांधी

अध्यक्ष वक्तव्य में गिरीश गांधी ने कहा कि गांधी और आंबेडकर का साथ आना जरूरी है। अपने स्वार्थ के लिए लोग गांधी और आंबेडकर का विरोध कर रहे हैं। पुणे पैक्ट के बारे में भी गलतफहमियां पैदा की गई। जो लोग उपेक्षित है उन तक स्वतंत्रता का लाभ पहुंचाना चाहिए। श्री गांधी ने बताया कि वह पिछले 5 वर्षों से डॉक्टर बाबासाहब आंबेडकर की स्मृति में पुरस्कार प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि गांधी और आंबेडकर की वैचारिक ऊंचाई कोई नहीं स्पर्श कर सकता । 

पुस्तकों के लेखक रघु ठाकुर ने महात्मा गांधी, डॉ बाबासाहब आंबेडकर और डॉ राममनोहर लोहिया के विचारों को लेकर काम करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि गांधी और आंबेडकर को साजिश के तहत समाज में बांटा जा रहा है। डॉ लोहिया ने बाबासाहब के साथ संवाद साधा और मुलाकात भी होने वाली थी, लेकिन नहीं हो पाई।

प्रास्ताविक में लोहिया अध्ययन केंद्र के पूर्व अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने कार्यक्रम की भूमिका विशद की । अतिथियों का स्वागत केंद्र के महासचिव सुनील पाटील, उपाध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायाधीश संजय बुरडकर, कोषाध्यक्ष संजय सहस्त्रबुद्धे, सदस्य संतोष कुमार दुबे, वंदना सोलंकी, डॉ अनूप सिंह (सौंसर), विनोद चतुर्वेदी, अजय पांडे ने किया। 

इस अवसर पर पुस्तक के लेखक रघु ठाकुर, उड़िया अनुवादक डॉ नचिकेता शर्मा, मराठी अनुवादक मंदाकिनी भिल (घाइट) और केंद्र को पुस्तक दानदाता गजानन गोकुल प्रसाद शाहू का विशेष सत्कार किया गया। संचालन टीकाराम साहू 'आजाद' ने किया। राजेंद्र मालोकर ने गोकुल प्रसाद शाहू के साहित्यिक योगदान पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम में अमित कुमार प्रभाकर, रमेश मेहता, दुर्गा प्रसाद अग्रवाल,  कृष्ण नागपाल, नीरज श्रीवास्तव, अनिल त्रिपाठी, डॉ संदीप तुन्दू्रवार, तेजवीर सिंह, डॉ जयप्रकाश, अनिल मालोकर, अविनाश बागड़े, नरेंद्र परिहार, पंकज व्यास, पारसनाथ शर्मा, रूपेश पवार, मनोज जोशी सहित बड़ी संख्या में विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित लोग उपस्थित थे।

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