भोपाल। राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा है कि सृष्टि की सभी रचनाओं का संरक्षण मानव का दायित्व है। इस दायित्व के निर्वहन के लिए ही प्रकृति ने मानव को मानसिक, शारीरिक शक्तियाँ, करुणा, दया और संवेदनशीलता के भाव दिए है, लेकिन मानव ने इन शक्तियों का पराक्रम प्रकृति के साथ खिलवाड़ में किया है। आज चार मौसमों का अनुभव एक दिन में होने लगा है। उन्होंने अपेक्षा की है कि जैव विविधता के महत्व, उपयोगिता और मानव की भूमिका के संबंध में बच्चों को संवेदनशील बनाया जाए। उनके लिए अध्ययन यात्राएं एवं अन्य जनजागृति के कार्यक्रम व्यापक स्तर पर किये जायें।
राज्यपाल श्री पटेल आज जैव विविधता बोर्ड और सोसायटी फॉर नेचुरल हीलर्स कंजर्वेटर्स एण्ड टूरिज्म डिपार्टमेंट द्वारा आयोजित लैसर नॉन स्पीशीज ऑफ मध्यप्रदेश के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के शुभारम्भ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। सम्मेलन का विषय अल्प ज्ञात (लैसर) जीव-जंतु विविधता के प्रबंधन की चुनौतियाँ और संरक्षण के प्रयास है। सम्मेलन का आयोजन एनवायर्नमेंटल प्लानिंग एण्ड कॉर्डिनेशन ऑर्गेनाइजेशन एप्को, भोपाल के सभागार में किया गया।
राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि वर्तमान पर्यावरणीय समस्याएं जैसे ग्लोबल वार्मिंग, क्लाइमेट चेंज, वायु और जल प्रदूषण आदि उसी का नतीजा है। यह समझना जरूरी है कि सृष्टि की संरचना में प्रत्येक जीव की महत्ता है। प्रकृति के सबसे शक्तिशाली जीव होने के कारण मानव का दायित्व है कि वह अपने आनंद के लिए दूसरों के हितों की अनदेखी नहीं करें। प्रकृति से मानव को मिली शक्तियों का पराक्रम संहार में नहीं संरक्षण में प्रदर्शित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रकृति को बनाए रखने में जैव विविधता की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। ईको सिस्टम में हर प्रजाति कोई न कोई क्रिया करती है। बिना कारण न तो वह विकसित हो सकती है और न ही बनी रह सकती है। प्रत्येक जीव-जन्तु ऊर्जा प्राप्त और संग्रहित करता है। कार्बनिक पदार्थ उत्पन्न और विघटित करता है। इस तरह ईको सिस्टम में जल, पोषक तत्वों के चक्रों को बनाए रखकर, अपनी जरूरतें पूरी कर, दूसरे जीवों के पनपने में भी सहयोगी होता हैं। ईको सिस्टम में जितनी अधिक विविधता होगी, प्रजातियों की प्रतिकूल स्थितियों में भी बने रहने की संभावना और उनकी उत्पादकता भी उतनी ही अधिक होगी।