भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि सभी युगों में हमारे देश में शिक्षा-दीक्षा को बहुत महत्व प्रदान किया गया। आज से 5 हजार साल पहले भगवान श्रीकृष्ण द्वारा बाल रूप में कंस जैसी महाशक्ति का पराभव करने के बाद भी तत्कालीन समाज ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा-दीक्षा होना चाहिए। परिणामस्वरूप श्रीकृष्ण उज्जैन स्थित आचार्य सांदीपिनी आश्रम पधारे। तत्कालीन शिक्षा व्यवस्था 14 विद्या, 64 कला से परिपूर्ण थी। प्रत्येक शिष्य का सर्वांगीण विकास और उनमें मानवीयता के उत्कृष्ट मापदंडों की पुनर्स्थापना करना इस व्यवस्था का उद्देश्य था। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में क्रियान्वित हो रही नई शिक्षा नीति भी विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास और मानवीय मूल्यों की स्थापना पर केन्द्रित है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव हरिद्वार में पतंजलि गुरूकुलम् एवं आचार्यकुलम् के शिलान्यास समारोह को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि हमारी सनातन संस्कृति गुरू और गुरूकुल दोनों की महिमा बताती है। त्रेता युग में भगवान श्रीराम और द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने गुरूकुल में अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। हमारा यह सौभाग्य है कि मध्यप्रदेश भगवान श्री कृष्ण की शिक्षा स्थली के रूप में भी जाना जाता है। योगगुरू स्वामी रामदेव ने हरिद्वार में पतंजलि गुरूकुलम् एवं आचार्यकुलम् की स्थापना से इस पुण्य धरा को शिक्षा से जोड़ने का पुनीत कार्य किया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने योगगुरु स्वामी रामदेव को इस प्रकल्प के लिए बधाई और शुभकामनाएं देते हुए उज्जैन या प्रदेश के अन्य किसी उपयुक्त स्थल पर गुरूकुल व आश्रम स्थापित करने के लिए आमंत्रित किया।