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दिग्विजय सिंह ने फिर कहा, हमें ईवीएम पर भरोसा नहीं, एक्सपर्ट ने दिया प्रेजेंटेशन, कहा-गड़बड़ी संभव है

भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने लोकसभा चुनाव के बाद एक बार फिर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया हैं, पिछले कई वर्षों से ईवीएम से चुनाव कराने पर रोक लगाने और पुरानी मतपत्रों वाली पद्धति से चुनाव कराने की मांग करने वाले दिग्विजय सिंह ने भोपाल में आज पत्रकार वार्ता के दौरान केंद्र सरकार और चुनाव आयोग दोनों को निशाने पर लिया, उनके मंच पर गुजरात से आये एक्सपर्ट ने ईवीएम मशीन से वोट देने का प्रेजेंटेशन दिया और ये दिखाया कि इसमें गड़बड़ी संभव है।

मध्य प्रदेश में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद से ही दिग्विजय सिंह फिर ईवीएम के खिलाफ मुखर हो गए हैं उन्होंने  आज बुधवार को अपने सरकारी आवास पर भोपाल में मीडिया से बात की, उन्होंने एक बार फिर कहा कि इस देश में ईवीएम की जगह मतपत्र से चुनाव होने चाहिए क्योंकि ईवीएम पर उन्हें भरोसा नहीं है, इसमें गड़बड़ी की गुंजाइश है और ये कई बार दिखाया जा  चुका है इसके बाद भी चुनाव आयोग चुप है।

दिग्विजय सिंह ने कहा कि हमारे यहां 2003 से लेकर 2012 तक ईवीएम चलती रही, इस दौरान लालकृष्ण आडवाणी से लेकर कई नेताओं ने इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाया। इसके बाद वीवी पैट मशीन आई,  उसमें ये दिखाने की प्रक्रिया थी कि मतदाता कहाँ वोट डाल रहा है, मगर वीवी पैट में डाला जाने वाले सॉफ्टवेयर का सर्वर सेंट्रल इलेक्शन के सर्वर से जुड़ा होता है, ईवीएम मशीन में जहाँ चिप डाली जाती हैं वहाँ पर डला होने वाला सॉफ्टवेयर ही सर्वेसर्वा होता है।

दिग्विजय ने कहा कि आज विश्व में 5 देश ऐसे है जहां EVM से वोट डाला जाता है।  विदेशों में सॉफ़्टवेयर पब्लिक डोमेन में है लेकिन हमारे यहाँ 2003 से ही ऐसा नहीं है। जब बोला गया तो चुनाव आयोग ने कहा इसे पब्लिक डोमेन में नहीं रख सकते क्यों कि इसका दुरुपयोग हो सकता है। यानि ये तो और भी ख़तरनाक है कि चुनाव आयोग मानता है कि इसका दुरुपयोग हो सकता है। उन्होंने कहा कि ईवीएम प्रामाणिकता को लेकर कोई भी जानकारी नहीं है, सॉफ्टवेर कौन डाल रहा है इसकी कोई जानकारी नहीं है, अरे जब सॉफ़्टवेयर बनाने वाला, डालने वाला और सॉफ़्टवेयर ही तय करेगा कि सरकार किसकी बनेगी तो दूसरा क्या करेगा। यानि 140 करोड़ की जनता का मालिक ना मतदाता है ना निर्वाचन आयोग और ना सरकारी कर्मचारी है ना रिटनिंग ऑफिसर, इन सबका मालिक अब सॉफ़्टवेयर निर्माता है

पत्रकार वार्ता में गुजरात से आये एक्सपर्ट ने ईवीएम मशीन से वोटिंग प्रक्रिया का प्रेजेंटेशन दिया, एक्सपर्ट अतुल पटेल ने प्रेजेंटेशन के जरिये बताया कि सॉफ्टवेयर के माध्यम से वोटों की हेराफेरी संभव हैं, उन्होंने कहा कि जब उम्मीदवार निर्धारित हो जाते हैं तो उसके बाद ईवीएम की प्रोग्रामिंग की जाती है इसके लिए इंटरनेट कनेक्टिविटी की मदद ली जाती है। अतुल पटेल ने वहां प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद लोगों से सबके सामने ईवीएम मशीन में वोट डलवाए, वीवीपैट में वही वोट दिखा जो दिया लेकिन जब पर्ची को निकाला गया तो वो अलग निकली, हालाँकि अतुल पटेल ने कहा कि हम ये दावा नहीं करते कि जो सॉफ्ट वेयर हमने इस प्रेजेंटेशन के लिए इस्तेमाल किया वही निर्वाचन आयोग भी करता हो लेकिन इससे ये समझा जा सकता है कि ईवीएम में गड़बड़ी संभव है।

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि हम ये जानते हैं कि ईवीएम में हैकिंग नहीं हो सकती लेकिन प्रोग्रामिंग के जरिये इसमें पहले से फिक्स किया जा सकता है कि किसे वोट मिले, हमने इसीलिए यहाँ प्रेजेंटेशन किया और सच्चाई सामने आई कि वोट दिया किसी को और जब काउंटिंग हुई तो वोट मिला किसी और को मिला, हम भी यही कह रहे हैं कि ऐसा संभव है इसलिए ईवीएम से चुनाव पर तत्काल रोक लगनी चाहिए।

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