भोपाल। जबलपुर मध्यप्रदेश की संस्कारधानी है। इतिहास में इसका गौरवशाली स्थान है। जबलपुर का उल्लेख हर युग में मिलता है। यह वैदिक काल में जाबालि ऋषि की तपोस्थली रही है। हम मध्यकाल में देखें तो जबलपुर का संघर्ष अद्वितीय रहा है।प्रत्येक हमलावर का उत्तर इस क्षेत्र के निवासियों ने वीरतापूर्वक दिया है और यही वीरता वीरांगना रानी दुर्गावती के संघर्ष और बलिदान की गाथा में है।जबलपुर उनके बलिदान की पवित्र भूमि है। अकबर की विशाल सेना से रानी दुर्गावती ने इसी क्षेत्र में मोर्चा लिया था। वीरांगना दुर्गावती का युद्ध कौशल, शौर्य और पराक्रम इससे पूर्व कालिंजर में भी देखने को मिलता है।
रानी दुर्गावती के 500वें जन्मशताब्दी अवसर पर माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने जनजातीय समाज के कल्याण और समृद्धि के लिए जो संकल्प लिया है उसे पूर्ण करने के लिये मध्यप्रदेश सरकार पूरी प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ रही है। रानी दुर्गावती, सुशासन व्यवस्था और स्वर्णिम प्रशासन के लिये प्रसिद्ध थीं, जो इतिहास का प्रेरक अध्याय है। यह हमारे लिये प्रसन्नता की बात है कि जबलपुर में नवगठित मंत्रिमंडल की प्रथम कैबिनेट बैठक रानी दुर्गावती की सुशासन नगरीमें रखी गई है।
कालिंजर के चंदेल राजा कीरत सिंह शालिवाहन के यहां 5 अक्टूबर सन् 1524 को जन्मीं रानी दुर्गावती शस्त्र और शास्त्र विद्या में बचपन में ही दक्ष हो गयी थीं। युद्ध और पराक्रम के वीरोचित किस्से,कार्य-व्यवहार को देखते हुए वे बड़ी हुईं।
महोबा की चंदेल राजकुमारी सन् 1542 में गोंडवाना के राजा दलपत शाह से विवाह के उपरांत जबलपुर आ गयीं। तत्समय गोंडवाना साम्राज्य में जबलपुर, सिवनी, छिंदवाड़ा, भोपाल, होशंगाबाद (अब नर्मदापुरम), बिलासपुर, डिंडौरी, मंडला, नरसिंहपुरतथा नागपुर शामिल थे।
जब इस विशाल राज्य के राजा दलपतशाह की असमय मृत्यु हो गयी तो प्रजावत्सल रानी ने विचलित हुए बिना अपने बालक वीर नारायण को गद्दी पर बैठाकर राजकाज संभाला। लगभग 16 वर्षों के शासन प्रबंध में रानी ने अनेक निर्माण कार्य करवाए। रानी की दूरदर्शिता और प्रजा के कल्याण के प्रति संकल्पित होने का प्रमाण है कि उन्होंने अपने निर्माण कार्यों में जलाशयों, पुलों और मार्गोंको प्राथमिकता दी, जिससे नर्मदा किनारे के सुदूर वनों की उपज का व्यापार हो सके और जलाशयों से किसान सिंचाई के लिए पानी प्राप्त कर सके। जबलपुर में रानीताल, चेरीताल, आधारताल जैसे अद्भुत निर्माण रानी की दूरदर्शिता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का परिणाम है।
रानी दुर्गावती के शासन में नारी की सुरक्षा और सम्मान उत्कर्ष पर था। राज्य की सुरक्षा के लिए रानी ने कई किलों का निर्माणकरवाया और जीर्णोद्धार भी किया। कृषि तथा व्यवसाय के लिए उनके संरक्षण का ही परिणाम था कि गोंडवाना समृद्ध राज्य बना,लोग लगान स्वर्ण मुद्राओं में चुकाते थे। न्याय और समाज व्यवस्था के लिए हजारों गांवों में रानी के प्रतिनिधि रहते थे। प्रजा की बात रानी स्वयं सुनती थीं।