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चार महीने बाद वसुंधरा राजे और शिवराज सिंह चौहान जाएंगे दिल्ली…? बीजेपी का बड़ा प्लान

भोपाल। बीजेपी ने 2024 लोकसभा चुनावों से पहले रूठे नेताओं के मान मनौव्वल में जुटी है। पीएम नरेंद्र मोदी की नजर अपने उन नए और पुराने नेताओं पर गड़ी है, जो नाराज होकर पार्टी छोड़ गए या कोपभवन में बैठ गए। जनाधार वाले सभी नेताओं को बीजेपी लोकसभा चुनाव के लिए मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है। इस लिस्ट में कर्नाटक के जगदीश शेट्टार, मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यंत्री शिवराज सिंह चौहान और राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का नाम टॉप पर है।

 पार्टी हाईकमान ने इन रूठे हुए नेताओं को चुनाव के लिए एक्टिव होने के संकेत दे दिए हैं। इसके बाद से सभी नेता एक बार फिर पार्टी के कार्यक्रमों में नजर आने लगे हैं। चर्चा है कि शिवराज सिंह चौहान को विदिशा से उतारा जा सकता है, या फिर छिंदवाड़ा भेजा जनसकता है, जबकि वसुंधरा राजे झालावाड़ से चुनाव लड़ सकती हैं। शिवराज के लोकसभा चुनाव लड़ने के संकेत केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले भी दे चुके हैं।

पिछले दिसंबर में हुए पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी को राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में बड़ी जीत मिली। इस जीत के बाद इन राज्यों के पुराने क्षत्रपों का रोल बदल दिया गया। राजस्थान में भजनलाल शर्मा और मध्यप्रदेश में डॉ. मोहन यादव मुख्यमंत्री बने। छत्तीसगढ़ में विष्णु साय को चीफ मिनिस्टर बनाया गया। इस बदले समीकरण में पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह ने विधानसभा अध्यक्ष का पद स्वीकार कर लिया।

राजस्थान में वसुंधरा राजे और मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान ने इस ऑफर को ठुकरा दिया। दोनों नेताओं ने अपने स्टाइल में अपनी-अपनी नाराजगी जता दी। शिवराज सिंह चौहान ने सभाओं में ‘राजतिलक की प्रतीक्षा में वनवास भी हो जाता है’ जैसे बयानों से अपना दर्द जाहिर किया। पोस्टरों से नाम और फोटो हटाने पर भी उन्होंने अफसोस जाहिर किया, मगर वसुंधरा खामोश रहीं। शिवराज सिंह चौहान तो कुछ दिनों के बाद पार्टी के प्रचार करने तमिलनाडु निकल गए। मगर वसुंधरा राजे ने नई सरकार के शपथ ग्रहण के बाद से पार्टी कार्यक्रमों में शामिल होना बंद कर दिया।

30 दिसंबर को भजनलाल के मंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह से भी वसुंधरा राजे दूर रहीं। 5 जनवरी को पीएम मोदी ने पार्टी कार्यालय में विधायकों से मुलाकात की, वसुंधरा उस बैठक में भी शामिल नहीं हुई। 12 जनवरी को जब नरेंद्र मोदी जयपुर पहुंचे तब भी वह स्वागत के लिए नहीं आईं। इसके अलावा उन्होंने पार्टी के छोटे-बड़े कार्यक्रमों से भी दूरी बना ली और हाईकमान को अपनी नाराजगी जता दी। इसके बाद पार्टी नेतृत्व ने सीएम भजनलाल शर्मा को वसुंधरा को मनाने की जिम्मेदारी सौंपी। 

भजनलाल खुद वसुंधरा राजे के आवास पर जाकर केंद्रीय नेतृत्व का संदेश दिया। इसका असर भी नजर आया और वसुंधरा फिर सक्रिय हुईं। 25 जनवरी को जब पीएम नरेंद्र मोदी महीने में दूसरी बार फ्रांसीसी राष्ट्रपति की आगवानी के लिए जयपुर पहुंचे तो वह एयरपोर्ट पर स्वागत करती नजर आईं। इसके अलावा उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र में गतिविधियां बढ़ा दीं।

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