भोपाल। आयुर्वेद को चिकित्सा जगत में पुर्नस्थापित करने के लिए हमें देश की प्राकृतिक संपदाओं पर विश्वास का भाव प्रकट करने की आवश्यकता है। भारत के पास हर क्षेत्र में श्रेष्ठ संपदा एवं अपार संसाधन हैं। यह बात उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री श्री इन्दर सिंह परमार ने मंगलवार को भोपाल स्थित पं. खुशीलाल शर्मा शासकीय आयुर्वेद संस्थान के रजत जयंती ऑडिटोरियम में आयोजित "भारतीय आयुर्वेदीय भेषज संहिता की समृद्धि के लिये वानस्पतिक प्रजातियों का वैज्ञानिक मूल्यांकन एवं प्रलेखीकरण" विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के शुभारंभ अवसर पर कही।
आयुष मंत्री श्री परमार ने कहा कि कोरोना के भीषण संकटकाल में आयुर्वेद ने अपनी उपयोगिता एवं विश्वसनीयता सिद्ध की है। समाज में देश की परंपरागत विधा "आयुर्वेद" को पुनर्स्थापित करने में सभी की सहभागिता आवश्यक है। आयुर्वेद के संरक्षण एवं व्यापक प्रसार से ही निरोगी काया के संकल्प को सार्थक परिणाम मिलेंगे। भारतीय परंपरा के अनुरूप विज्ञानपरक शोध करने से नवाचार किए जा सकते हैं। आयुर्वेद को चिकित्सा की मुख्य धारा में लाने के लिए सभी का योगदान आवश्यक है। कार्यशाला के दौरान आयुष मंत्री श्री परमार ने राष्ट्रीय आयुष मिशन अंतर्गत "आयुष जन स्वास्थ्य कार्यक्रम" का वर्चुअली शुभारंभ भी किया।
भोपाल लोकसभा क्षेत्र की सांसद सुश्री साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा कि आयुर्वेद जैसी भारतीय विधा भारतीय परिवेश में ही आगे बढ़े। आयुर्विद्या का मातृभाषा में ही अध्यापन हो।