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इंदौर संभाग के 40 आदिवासी विकासखण्डों में खोले जाएंगे रानी दुर्गावती प्रशिक्षण एवं ई-लाइब्रेरी केन्द्र - जनजातीय कार्य मंत्री डा. विजय शाह

भोपाल। जनजातीय कार्य, लोक परिसम्पत्ति प्रबन्धन, भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास मंत्री डा. विजय शाह ने आज इंदौर में संभाग के सभी विभागीय अधिकारियों की बैठक ली और विभिन्न योजनाओं की समीक्षा की। बैठक में संभागायुक्त श्री मालसिंह, पुलिस आयुक्त श्री मकरंद देउस्कर, जनजातीय कार्य विभाग एवं अनुसूचित जाति विकास के संभागीय उपायुक्त, संभाग के सभी जिलों के विभागीय सहायक आयुक्त, विकास खंड अधिकारी एवं अन्य संबंधित अधिकारी तथा कर्मचारी उपस्थित रहे।

मंत्री डा. विजय शाह ने जिलेवार विभागीय कार्यों की विस्तृत समीक्षा की। उन्होंने जिलों में किए जा रहे निर्माण कार्यों की समीक्षा करते हुए निर्देश दिए की ऐसे निर्माण कार्य जिनकी लागत 50 लाख से अधिक है उनका संबंधित विभागीय अधिकारी भौतिक मॉनिटरिंग अवश्य करें। यह विभागीय अधिकारियों की जिम्मेवारी है। उन्होंने कहा कि जिस वित्तीय वर्ष में कार्य स्वीकृत किए गए हैं उनका निर्माण कार्य उसी वर्ष में शुरू कर दिया जाए। ऐसे निर्माण कार्य जो अधिक समय से लंबित है उनकी एक अलग लिस्ट तैयार की जाए। मंत्री श्री विजय शाह ने कहा कि सभी जिला अधिकारी निर्माण एजेंसियों के साथ प्रत्येक माह बैठक आयोजित कर निर्माण कार्यों की प्रगति की समीक्षा करेंगे। साथ ही हर तीन माह के अंदर निर्माण का स्पाट निरीक्षण भी करेंगे। अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि जिस भी जगह पर निर्माण कार्य किया जा रहा है वह जगह छात्र-छात्राओं के लिए आवागमन की दृष्टि से सुलभ हो।

मंत्री डा. विजय शाह ने संभाग अंतर्गत 1 हजार 166 छात्रावासों के संबंध में चर्चा के दौरान निर्देश दिए की सभी अनुसूचित जनजाति छात्रावासों में नियुक्त किए गए अधीक्षकों का अनिवार्य रूप से हर वर्ष 3 से 6 दिवस का मनोविज्ञान प्रशिक्षण कराया जाए। इससे अधीक्षक छात्र-छात्राओं की मानसिक स्थिति समझ सकेंगे और उन्हें उचित परामर्श भी दे सकेंगे। उन्होंने कहा कि सभी छात्रावासों में सीसीटीवी कैमरा अवश्य लगाया जाए जिससे अनावश्यक को छात्रावास में प्रवेश न कर सके। विशेष तौर पर लड़कियों के छात्रावास में नाइट विजन वाले सीसीटीवी कैमरा लगाया जाए। छात्रावास/आश्रमों के लिए संरक्षक की नियुक्ति की जाए। यह संरक्षक की जिम्मेवारी रहेगी कि वह हर माह अधीक्षक के साथ जाकर छात्रावास का निरीक्षण करें साथ ही हर दो माह में छात्रों के पालकों के साथ भी बैठक करें।

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