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हर साहिबे हैसियत मुसलमान पर जिंदगी में एक बार हज करना जरूरी है: मौलाना सामिद नदवी

बेगमगंज। हज इस्लाम के पांच रुक्न में से एक अहम रुक्न है जो साहिबे  हैसियत यानी मालदार  मुसलमान मर्द और औरत पर जिंदगी में एक बार जरूरी है। हैसियत होने के बावजूद जो व्यक्ति इस फरीजे को अदा नहीं करता वह गुनहगार होता है। एक हदीस में है कि उसकी मौत ईमान पर नहीं होती। इसलिए जिन पर हज फर्ज है उन्हें अभी मौका है कि वह फॉर्म भरे हज के फॉर्म भरने की तारीख 15 जनवरी तक बढ़ा दी गई है।

उक्त बात मरकज मस्जिद में जुमे की नमाज से पहले मस्जिद के इमाम मौलाना सामिद खां नदवी ने उपस्थित लोगों को समझाते हुए कही। उन्होंने हज के संबंध में विस्तार से रोशनी डाली और बताया कि आज उमरा पर जाने वालों का चलन बढ़ गया है उमरा पर जाना चाहिए लेकिन हज की अहमियत कम नहीं होना चाहिए कुछ लोगों के दिल में शैतान यह बात डाल देता है कि जब उमरा कर लिया तो अब हज करने की क्या जरूरत है ऐसा नहीं है जिंदगी में एक बार हज जरूरी है अगर पैसा आपके पास है तो आप एक से ज्यादा बार भी हज कर सकते हैं एक हदीस का मफहूम है कि एक हज या उमरे से दूसरे हज या उमरा करने से  बीच के गुनाह खुदा माफ कर देता है। कहने का मकसद है कि उमरा तो करें लेकिन जिन पर हज फर्ज है और इतनी माली ताकत उनके पास है कि वह हज के मासारिफ उठा सकें तो उन्हें हज जरूर करना चाहिए। अगर एक हज कर चुके हैं तो वह हज्जे बदर भी दूसरे को कराकर सबाब के हकदार बन सकते हैं। इसमें हज करने वाले को भी सवाब मिलेगा और कराने वाले को भी।  उन्होंने उपस्थित लोगों से 15 जनवरी से पहले पहले हज के फॉर्म की तक्मील के लिए हाजी सैयद शाकिर अली और हाजी शेख शादाब खान से संपर्क करने का आवाहन किया।

मौलाना सामिद नदवी

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