नई दिल्ली! माहौल को पूरा गरम और सेक्सी बनाने में कोई कोरकसर नहीं छोड़ी जा रही है. टीवी-सीरियल, फ़िल्म तक तो गनीमत थी, अब तमाम ऑनलाइन सरंजाम, यू ट्युब जैसे ऐप युवा पीढ़ी को बर्बाद कर रहे हैं.
हर जेब में सेक्स वीडिओ हैं, विकृत और भ्रामक जानकरी है. इसमें फसकर युवा नस्ट हो रहें हैं, खासकर लड़कियां. उनको सेक्स सिंबल बनाया जा रहा है. बहकाकर कोठों पर बेचा जा रहा है या किडनेप करके वेश्या बनाया जा रहा है, या फिर पॉस-कालोनियों – होटलों में उनकी सहमति से उनको भोगा जा रहा है.
फ़्रीडम पसंद लड़कियां खुद भी सेक्सी बनने के लिए इतनी बेताब हैं की रंडियों को भी पीछे छोड़ रही हैं. ये लड़कियां बूब्स, हिप्स बड़े करने के लिए, हॉट दिखने के लिए, सेक्सी बनने के लिए इंजेक्शन तक ले रही हैं. इनको जबरजस्ती भी ये सब देकर सेक्स के बाजार में उतारा जा रहा है. आठ साल की लड़की भी चंद दिनों में अठारह की नज़र आने लगती है.
आखिर ऐसे खतरनाक प्रोडक्ट मार्किट में आते कैसे हैं? गवर्नमेंट इनको बहाल क्यों होने देती है? इस टॉपिक हमने चेतना विकास मिशन के डायरेक्टर डॉ. विकास मानव से बात की तो उन्होंने बताया :
कोई भी अविष्कार किसी गलत मक़सद से नहीं किया जाता है. ये मेडिसिन्स भी इलाज़ के लिए बनाई गई हैं. कई बीमारियों में इनका उपयोग होता है. लड़की 16 साल की हो चुकी है, उसका शारीरिक विकास रुक गया है. बॉडी ग्रो नहीं कर रही है, तब इसके लिए भी ऐसे उत्पाद काम आते हैं. लेकिन इनके साइड इफेक्ट बड़े खतरनाक होते हैं. हर किसी को आँख बंद करके इन्हें यूज नहीं करना चाहिए. एजुकेटेड व दक्ष डॉक्टर ही लड़की के टेस्ट के बाद यह तय कर सकता है की उसके लिए क्या ठीक है और क्या बे ठीक है. वर्ना हड्डियां गलने लगती हैं, बाँझपन आ सकता है. अधिक सेक्स उत्तेजना बढ़ने से लड़की सेक्स-एडिक्ट बन सकती है. ऐसे में तमाम लोगों की शिकार बनकर वह अपना सबकुछ नष्ट कर सकती है. लाईलाज रोगों से सड़कर बे-मौत मर सकती है.