Type Here to Get Search Results !

ठंड से सब्जी की फसल बचाने मिनी स्प्रिंकलर का सहारा

स्प्रिंकलर पद्धति से किसान फसल को संचित करता हुआ

बेगमगंज। कृषि की आधुनिक पद्धतियों से किसान कृषि को लाभ का धंधा बना रहे हैं कई किसानों ने परंपरागत खेती छोड़कर सब्जी उत्पादन का काम शुरू किया है ऐसे ही एक किसान जो शहर के मुकरबा मोहल्ले में सब्जी उत्पादन का काम करते हैं दौलत कुशवाहा ने ठंड से गिलकी की फसल को बचाने के लिए मिनी स्प्रिंकलर को लकड़ी के बल्लियों से बांधकर संचालित की जिससे कि तुषार पाला से फसल बच सके। उद्यान विभाग अधिकारी उमाशंकर कुशवाहा, देवकी मरकाम ने  निरीक्षण किया और अन्य किसानों को भी इस युक्ति से लाभ लेने के लिए प्रेरित किया।

सफल किसान सुरेंद्र कुशवाहा ने जानकारी देते हुए बताया कि स्प्रिंकलर विधि से सिंचाई में पानी का छिड़काव के रूप में प्रयोग किया जाता है। जिससे पौधें पर वर्षा की बूंदे पड़ती है। बौछारी सिंचाई पद्धति में मुख्य भाग पम्प, मुख्य नली, बगल की नली, पानी उठाने वाली नली एवं पानी छिड़कने वाला फुहारा होता है।बौछारी सिंचाई में नली में पानी दबाव के साथ पम्प द्वारा भेजा जाता है जिससे फसल पर फुहारा द्वारा छिड़काव होता है। मुख्य नली बगल की नलियों से जुड़ी होती है। बगल की नलियों में पानी उठाने वाली नली जुड़ी होती है।

पानी उठाने वाली नली जिसे राइजर पाइप कहते है, इसकी लम्बाई फसल की लम्बाई, पर निर्भर करती है। क्योंकि फसल की ऊंचाई जितनी रहती है राइजर पाइप उससे ऊंचा हमेशा रखना पड़ता है। इसे सामान्यतः फसल की अधिकतम लम्बाई के बराबर होना चाहिए। पानी छिड़कने वाले हेड घूमने वाले होते है जिन्हें पानी उठाने वाले पाइप से लगा दिया जाता है।

पानी छिड़कने वाले यंत्र भूमि के पूरे क्षेत्रफल पर अर्थात फसल के ऊपर पानी छिड़कते है। दबाव के कारण पानी काफी दूर तक छिड़क जाता है। जिससे सिंचाई होती है।

किसान उद्यान विभाग की अनुदान योजना का लाभ उठा रहे हैं।

इस संबंध में उद्यान अधिकारी उमाशंकर कुशवाहा का कहना है कि उद्यान विभाग की विभिन्न अनुदान योजनाएं खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए संचालित है किसान इसका लाभ उठाएं और खेती को लाभ का धंधा बनाएं।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.