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फिल्मी पंडित बोले-टिकट महंगे होने से नहीं मिलते दर्शक

जवान और टाईगर-3 के रोलबैक के बाद भी एनीमल के टिकट रेट बढ़ाए गए

बडे बैनर की फिल्मों की लागत निकालने और ब्लैकमार्केटिंग रोकने दाम बढ़ाने का गणित

भोपाल। किसी भी फिल्म के हिट होने के आसार देखते हुए टिकटों के दाम बढ़ाने का दांव अब उल्टा पड़ रहा है। इसके नकारात्मक असर होने से फिल्मों को दर्शकों का टोटा पड़ जाता है, जैसे पहले जवान और फिर टाईगर-3 के टिकटों के दाम बढ़ाने के बाद दर्शकों की कमी होते ही फिर से टिकटों के दाम घटाने पड़े थे। बावजूद 1 दिसंबर को रिलीज हो रही एनीमल के टिकट रेट मे जबर्दस्त इजाफा किया गया है। टिकट रेट बढ़ाने को लेकर पीवीआर, सिनेपॉलिस और आईनॉक्स जैसी बड़ी कंपनियों के कॉल सेंटर के अनुसार उनके टिकट प्राइस डायनेमिक होते हैं। कई बार रिसर्च टीम के बताए टाइम तो कई बार वेकेंट सीट्स के हिसाब से प्राइस को डे वाइज या फिर अलग-अलग शोज में घटाया या बढ़ाया जाता है। 

दिसंबर में बड़ी रिलीज और टिकट के दाम

  • 1 दिसंबर-एनीमल-रणबीर कपूर स्टारर फिल्म के सिंगल स्क्रीन के लिए टिकट रेट नहीं बढेंगे, लेकिन मल्टीप्लेक्स में 400 से 1250 रुपए तक रेट बढ़ा दिए गए हैं। 
  • 21 दिसंबर-डंकी-शाहरुख खान स्टारर फिल्म के टिकटों के दामों में 50 से 80 प्रतिशत तक बढ़ोतरी होगी। हालांकि पिछली फिल्म जवान को इससे नुकसान हुआ था। 
  • 21 दिसंबर-सालार-प्रभाष स्टारर फि ल्म के टिकटों के दाम नहीं बढेंगे, क्योंकि बाहुबली के बाद आई फिल्म साहो नाकाम रही थी। ऐसे में दर्शकों को खींचने का दांव।

टाइगर-3 के बढेÞ थे टिकट रेट

  • बालकनी-110 से 180 रुपए
  • डेस सर्कल-80 से 130 रुपए
  • डेस सर्कल-60 से 110 रुपए
  • विशेष-यह बढे रेट दर्शकों के अचानक घटने से चौथे दिन ही वापस करने पडेÞ थे, लेकिन तब तक दर्शक मुंह मोड़ चुके थे। 

सिंगल स्क्रीन के लिए पहले जवान और अब टाइगर-3 के टिकट के दाम बढ़ाए गए थे, लेकिन इससे दर्शक कम हो गए। नतीजे में यह फैसला वापस लेना पड़ा। 

                 अजीजउद्दीन, सचिव, मप्र सिनेमा एसोसिएशन

मुंबई से प्रोड्यूसर ही दाम बढ़वाता है, ऐसे में हमारी आपत्ति की कोई सुनवाई नहीं होती। वैसे दाम बढ़ाने से सिंगल स्क्रीन के दर्शकों में कमी से नुकसान होता है। 

               राकेश नरुला, सदस्य, मप्र सिनेमा एसोसिएशन

यह ट्रेंड ज्यादा दिन चलेगा नहीं

पहले एक ही दाम रहते थे, चाहे शोले आए या दीवार, लेकिन कुछ सालों से बडेÞ बैनर की फिल्मों के टिकटों के दाम बढ़ा दिए जाते हैं। हालांकि यह नुकसानदेह ही साबित हो रहा है, क्योंकि मल्टीप्लेक्स में फेमिली के साथ फिल्म देखने पर 5 से 7 हजार रुपए खर्च करने के बजाय लोग अब हफ्तेभर बाद घर में देख रहे हैं। ऐसे में यह ट्रेंड ज्यादा दिन चलने वाला नही है। 

      सलीम खान, फिल्म प्रोड्यूसर, मुंबई

साउथ के सितारों से सबल लें

मुंबई के निर्माताओं की रणनीति होती है कि दाम बढ़ाकर भरपाई करने के साथ ही बिग हिट बनाया जाए, लेकिन टिकट रेट बढ़ने से फिल्मों से लोग दूर होते जा रहे हैं। बेहतर हो कि साउथ से सबक लिया जाएं, जहां के सुपर स्टार अपने मध्यमवर्गीय और युवा फैंस का हवाला देकर टिकटों के दाम नहीं बढ़ने देते। इससे उनकी फिल्में बालीवुड के मुकाबले ब्लॉकबस्टर हो रही हैं। 

               हरी सिंह बाबा, प्रोड्यूसर, मुंबई

यह तो सालों से है चलन में

बडे बैनर और बडे सितारों की फिल्मों के टिकटों के दाम बढ़ाने का चलन तो सालों से है। इसके पीछे यही कहा जाता है कि शुरुआती दिनों में हाउस फुल होने से ब्लैकमार्केटिंग होती है, जिसको रोकने के लिए दाम बढ़ाए जाते हैं। वैसे मेरा मानना है कि सिंगल स्क्रीन के बजाय मल्टीप्लेक्स में बढ़ाए जा सकते हैं, क्योंकि सिंगल स्क्रीन के दर्शक मिडिल और लोअर क्लास होते हैं। 

                    केसी बोकाड़िया, फिल्म प्रोड्यूसर, मुंबई

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