चेन्नई। के प्रेसीडेंसी कॉलेज में पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह (वीपी सिंह) की मूर्ति के अनावरण कार्यक्रम ने सामाजिक न्याय की राजनीति को एक बार फिर बहस के केंद्र में ला दिया है। लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधनने संघ-भाजपा के सांप्रदायिक एजेंडे के सामने ‘सामाजिक न्याय’ की राजनीति को विकल्प के रूप में रखा है। विपक्षी एकता के शुरुआती पैरोकार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं तो उत्तर और दक्षिण के सामाजिक न्याय को एक साथ जोड़ने का काम तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन कर रहे हैं।
सांप्रदायिक शक्तियों को सामाजिक न्याय की राजनीति से हराने की रणनीति पर काम कर रहे तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने पिछले 20 अप्रैल को यह वादा किया था कि वह चेन्नई में सामाजिक न्याय के मसीहा वीपी सिंह की मूर्ति स्थापित करेंगे।
एमके स्टालिन ने सोमवार (27 नवंबर) को पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह की प्रतिमा का अनावरण कर अपना वादा पूरा किया। चेन्नई के प्रेसीडेंसी कॉलेज में वीपी सिंह के आदमकद मूर्ति के अनावरण करते समय उनकी पत्नी सीता कुमारी, पुत्र अजेय सिंह और अभय सिंह और परिजनों के साथ यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी उपस्थित थे।
डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन के लिए यह कार्यक्रम अपने पिता एम. करुणानिधि और वीपी सिंह के आपसी संबंधों को याद करने के साथ ही उनके राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने का संकल्प है। दरअसल, पिछले दिनों विपक्षी दलों के बीच एकता स्थापित करने प्रयासों के बीच स्टालिन ने सामाजिक न्याय के मुद्दे को उठाया था। उन्होंने इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह को याद किया था। क्योंकि लंबे समय से विपक्षी दल और क्षेत्रीय दल एक ऐसे वैचारिक प्लेटफार्म की तलाश में थे, जो राष्ट्रीय स्तर पर एक विकल्प बन सके।