बेगमगंज। रिश्तो का दामन कभी न छूटे, तुम हमसे हम तुमसे कभी ना रूठे, इस कदर रिश्तो को निभाएंगे की, यह धड़कने खामोश हो जाएं पर यह रिश्ता कभी ना टूटे, इसी तरह रिश्तो को निभाने वाले बल्ली भाई होटल वाले 1 दिसंबर 2012 को आज से 11 साल पहले हम सबसे जुदा हो गए, लेकिन उनकी यादें आज भी हम सबके दिलों में बसी हुई हैं। उनके जरिए बनाए जाने वाले कवाब बहुत फेमस थे सागर भोपाल से आने वाले मेहमान कवाब पैक करा कर ले जाते थे, सुबह के वक्त तेज मिर्ची वाली मुंगोड़ी का ज़ायका आज भी भूले नहीं बुलाया जाता, एक ही बेसन मसाले से तैयार की जाने वाली पपड़ी और नमकीन का ज़ायका अलग-अलग होता था ,उनके जरिए बनाई गयीं खजूरे भी लाजवाब होती थी, यही ज़ायका नुकतियों का भी था। कलाकंद और गुलाब जामुन भी अलग ही ज़ायके की होती थी। आपकी होटल की एक मिसाल थी कि कभी भी यहां पर पुलिस को दुकाने बंद कराते वक्त कुछ कहने की जरूरत नहीं पड़ी, सारे विवादों से पाक साफ बल्ली होटल आज भी लोगों के जेहन में मौजूद हैं।
उक्त बात बल्ली भाई की 11वीं वर्षी पर आयोजित खिराजे अकीदत कार्यक्रम में नईम खान पत्रकार ने व्यक्त किए। इस अवसर पर मरहूम के ईसाले सवाब के लिए मदारिस की बच्चों वह गरीबों को भोजन कराया गया।
इस अवसर पर मो. बाबर खान ने बताया कि बेगमगंज में आने वाले जितने भी मस्त टाइप के पागल होते थे वह होटल पर जरूर पहुंचते थे। कुछ तो होटल के आसपास ही डेरा जमाए रहते थे।
इस मौके पर मौजूद लोगों ने बल्ली भाई की मग़फिरत की दुआ करते हुए उन्हें खिराजे अकीदत पेश की।
विशेष रूप से हबीब शाह खान पटेल, अनवार खां राइन, हाफिज मो. इलियास, साबिर पठान, डॉ. नसीम अली,अफसर सौदागर, रफीक मंसूरी, रफीक नवाब, सईद अली, नफीस अख्तर हाजी, रेहान खान, शारिक शाह खान, नावेद खान, सैयद महफूज अली, असगर भाई, अस्सू नाना, मूसा अली, अमजद अली, अबरार अंसारी, महफूज अमन, असद राईन, सहित अनेकों लोग शामिल हैं।