भोपाल। देश के प्रथम गृहमंत्री लौहपुरुष वल्लभ भाई पटेल की पुण्यतिथि पर मंत्रालय के सामने स्थित प्रतिमा स्थल पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। इस मौके पर मंत्रालय सेवा अधिकारी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष राजकुमार पटेल के साथ पिछड़ा वर्ग विकास मोर्चा के महेंद्र सिंह, कैलाश प्रसाद कूर्मवंशी, रामविलास पटेल, सचिन पटेल, संजय पटेल, राजकुमार, केशव पटेल आदि थे।
इस मौके पर राजकुमार पटेल ने लौहपुरुष को याद करते हुए कहा कि उनका जन्म गुजरात के करमसद नामक स्थान पर हुआ था । इंग्लैंड से बैरिस्टर की शिक्षा प्रथम श्रेणी प्रथम स्थान में प्राप्त की। अहमदाबाद में वकालत आरंभ की। गांधी जी के आंदोलन से प्रेरित होकर वकालत छोड़कर स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े। आंदोलन में भाग लेते हुए कई बार जेल गए 3 वर्ष से अधिक समय जेल में बताएं। 1918 में खेड़ा तथा 19 28 में बारडोली किसान आंदोलन में नेतृत्व किया। आंदोलन की सफलता से प्रभावित होकर वहां के लोगों और महात्मा गांधी ने उन्हें सरदार की उपाधि दी। 1947 में आजादी के समय अंग्रेजों ने सभी देसी रियासतों को भी आजाद कर दिया था। सरदार पटेल ने दूर दृष्टि से इस बात को भांप लिया यदि नवाब, रजवाड़े और रियासतें स्वतंत्र बनी रहीं तो, भारत की आजादी का कोई मतलब नहीं रहेगा। उन्होंने बड़ी सूझबूझ और कुशलता से 563 देसी रियासतों का भारत संघ में बिलिनी करण किया। उन्हें भारत की एकता की सूत्रधार के रूप में जाना जाता है । उनकी दूरदृष्टि, दृढ़ता, धैर्य, बिनम्रता के कारण 563 रियासतों का भारत संघ में विलय का कार्य पूरा हुआ। उनकी दृढ़ता के कारण उन्हें लौहपुरुष की उपाधि से भी नवाजा गया। बिस्मार्क के जर्मनी के एकीकरण की तर्ज पर उन्हें भारतीय बिस्मार्क और आधुनिक चाणक्य भी कहा जाता है। उनका जीवन देश सेवा, त्याग एवं समर्पण की मिशाल है।