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नीलगाय झुंड में आकर फसलों को कर रही क्षतिग्रस्त, किसान परेशान

बेगमगंज। इन दिनों ग्रामीण क्षेत्र में घूम रहे नीलगाय के झुंड से खेतों में निकल रही मक्का, मटर, टमाटर, चना, गेहूँ आदि की फसल को भारी नुकसान हो रहा है। तो दूसरी तरफ आवारा मवेशी उनकी फसलों को बरबाद कर रहे है। इससे किसान चिंतित है। मरखंडी, घोघरी, कुडा, भैंसा, नई गड़िया, पंदरभटा, पिपलिया, सुल्तानंज, सुनवाहा, बम्होरी टीटोर, मरखेड़ा टप्पा, चौका, झिरिया के अलावा आसपास के अन्य गांवों में भी वन्य प्राणी लंबे समय से फसलों को क्षति पहुंचा रहे है। 

जंगली जानवर फसलों को पर बर्बाद करते हुए

गांव के किसान कंछेदीलाल शर्मा ने बताया कि जंगली जानवरों द्वारा खाए हुए खाई हुई गेहूं की बालियां किसी काम की नहीं रहती। इसी तरह मटर, टमाटर व अन्य फसलों को भी बुरी तरह प्रभावित कर देती है। 20-25 की संख्या में रात में विचरण करने वाली नीलगाय जिस खेत में घुसती हैं वहां की फसल बर्बाद हो जाती है। सुल्तानगंज क्षेत्र के सुनवाहा, बम्होरी टीटोर, गुलवाड़ा, चांदोड़ा, नारायणपुर, पिपलिया बिचोली, खजुरिया, खामखेडा, ककरुआ गुलाब, नई गढ़िया, मरखंडी, तिनघरा, भोजपुर, खैरी, झिरिया,

महुआखेड़ा, पड़रिया राजाधार, मरखेड़ा टप्पा, गोडा खो, चौका सहित अन्य ग्रामों में जहां जंगली इलाका है वहां पर नीलगाय को अपने मुफीद माहौल मिलने से पिछले वर्षों में इन क्षेत्रों में जंगली जानवरों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है। इस समय क्षेत्र में 500 से अधिक नीलगाय क्षेत्र में मौजूद है। इससे सीमांत किसान अपनी फसलों को बचाने के लिए समय समय पर कई जतन करते है। जबकि अभी फसलें जमीन से निकल रही है जब यह स्थिती है तो फसल जब बढ़ जाएगी तब क्या होगा यह फिकर किसानों को सता रही है।

किसानों को पूरीरात नीलगाय को भगाने के लिए खेतों के आसपास घूमते फिरते बिताना पड़ती है। नील गाय इतना सजग व चतुर हाते हैं कि जरा सी आहट मिलते ही तुरंत भाग खड़े होते है। यह झुंड में चारों दिशाओं में मुंह करके बैठती है। कहीं से भी खतरे का संकेत मिलने पर दौड़ लगा देती है। कभी किसानों के हाथ नहीं लगती।

शहरी क्षेत्र के आसपास आवारा मवेशियों से परेशानी:- शहरी क्षेत्र बेगमगंज सुल्तानगंज के आस पास आवारा मवेशियों से शहर नगर कसवों से लगी कृषि भूमि के किसान इन आवारा मवेशियों से परेशान है जिसको लेकर वे पूर्व में जन सुनवाई में भी आवेदन लगा चुके है। लेकिन आवारा मवेशियों से निजात नहीं मिल पा रही है। आवारा मवेशियों के दर्जनों की संख्या में झुंड एक स्थान के किसान अपनी फसलें बचाने दूसरे स्थान पर खदेड़ देते है तो दूसरे स्थान के किसान उन्हें वहां से चलता कर देते है। कई बार किसानों के बीच विवाद की स्थिती भी बन जाती है। गऊ शाला में मवेशियों के रखने की जगह नहीं है तो कांजी हाऊस में रखा नहीं जा रहा है। क्योंकि कोई भी नीलामी में उक्त मवेशियों को खरीदता नहीं है और गऊ शाला लेती नहीं है। जिसके कारण किसान सबसे अधिक परेशान है। तो दूसरे नंबर पर वाहन चालक ।

किसान नेताओं ने की मुआवजे की मांग:- किसान सौरभ शर्मा, कैलाश गुप्ता, बालगिरी गोस्वामी, प्रदीप दुबे, वीरू यादव, माखन सिंह, पृथ्वी सिंह, सत्तार खां मंसूरी, शहजाद खान, नरेन्द्र सिंह यादव, शहादत खां, सौरभ  यादव, गोविंद सिंह गौर, अजहर पटेल, सहित अन्य किसानों ने शासन से जंगली जानवरों के द्वारा फसल बरबाद करने पर किसानों को मुआवजा देने की मांग की है। साथ ही शहरी क्षेत्रों में आवारा मवेशियों को गऊशाला में भेजने के लिए नवीन गऊशाला खोलने की मांग की है।


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