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फर्जी जीएसटी फर्म, रोज 80 लाख का बनाते थे बिल, खुलासे से सब हैरान

यूपी। नोएडा के थाना सेक्टर 20 पुलिस ने फर्जी जीएसटी फर्म तैयार कर हजारों करोड़ के राजस्व की क्षति पहुंचाने वाले गिरोह के चार शातिर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। उनके कब्जे से 250 फर्जी फॉर्म, 41 फर्जी स्टाम्प, 54 फर्जी सिम कार्ड, 18 फर्जी आधार कार्ड, 16 फर्जी पैन कार्ड, 2 बैंक पासबुक, 20 बैंक चेक बुक, 3 लैपटॉप, 1 पासपोर्ट, 1 कार्ड स्वाइप मशीन, 18 पैनड्राइव, 1 डीएल, 1 इन्टरनेट राउटर बरामद हुआ है।

पुलिस ने राहुल निगम, पियूष कुमार गुप्ता, दिलीप शर्मा और राकेश कुमार को त्रिनगर दिल्ली से गिरफ्तार किया। पूर्व में गिरफ्तार व फरार अभियुक्तों द्वारा अपने जीएसटी चोरी से संबंधित डेटा निशांत अग्रवाल को उपलब्ध कराकर इसके माध्यम से ही इसके साथियों के साथ मिलकर इस प्रकार के अपराधों में संलिप्त है। जिनके द्वारा फर्जी फर्म जीएसटी नंबर सहित तैयार कराकर फर्जी बिल का उपयोग कर जीएसटी रिफंड कर (आईटीसी इनपुट टैक्स क्रेडिट) प्राप्त कर सरकार को हजारों करोड़ के राजस्व का नुकसान पहुंचाने का अपराध किया जा रहा है।

इस गैंग के द्वारा पूर्व में करीब 25 गिरफ्तार अपराधी जीएसटी धोखाधड़ी करने वाले गैंग का डेटा का भी इस्तेमाल किया जा रहा था। साथ ही साथ इसके द्वारा कुछ नए फर्जी फर्मों का डेटा का इस्तेमाल किया जा रहा था। अभी तक की पूछताछ में लगभग 200 से अधिक नए फर्जी फर्मों के बारे में जानकारी प्राप्त हुई है। पकडे़ गए गिरोह का मुख्य लीडर निशांत है, जो दिल्ली के पीतमपुरा का रहने वाला है। यह राकेश व अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर फर्जी जीएसटी फर्म अपने आर्थिक लाभ के लिए तैयार कर उनकी फर्जी ओनरशीप अन्य लोगों के नाम रजिस्टर्ड करते हैं। यह लोग फर्जी फर्म रजिस्टर्ड कराते हैं और गिरफ्तारी से बचने के लिए उससे अलग लोकेशन पर एक रेजिडेंशियल एरिया में घर के अंदर कंपनी चलाते हैं।

इस गिरोह का लीडर निशांत पकडे़ जाने के डर से मुंबई शिफ्ट हो गया है तथा वहीं से वह इन अभियुक्तो को फर्जी फर्म आदि डेटा उपलब्ध कराता है। साथ ही साथ फर्म से जुडे़ सभी अकाउंट का एक्सेस अपने पास रखकर कार्य करता है। निशांत द्वारा पकडे़ गए अभियुक्तों को इस कार्य के लिए हायर किया जाता है। जिसमें से पकडे़ गए अभियुक्त राहुल का कार्य फर्जी फेक बिल बनाना था तथा पकडे़ गए अभियुक्त पीयूष गुप्ता द्वारा बैंकिंग का समस्त कार्य देखा जाता है।

पीयूष ने दिल्ली विश्वविद्यालय से एमबीए की शिक्षा प्राप्त की है। दिलीप द्वारा पैसों का लेनदेन व पैसों को आवश्यकतानुसार निशांत द्वारा बताए गए स्थानों पर पहुंचाने का कार्य किया जाता है। पकडे़ गए अभियुक्तों द्वारा फर्जी कंपनियों का आईईसी इंपोर्ट-एक्सपोर्ट कोड तैयार कर मुख्यतः अन्तर्राष्ट्रीय स्थान जैसे थाईलैंड, सिंगापुर, ताइवान, फिलीपिंस, वियतनाम आदि में स्थित कंपनियां फर्जी तरीके से आयात-निर्यात अपने फर्जी कंपनियों से दिखाकर आर्थिक लाभ प्राप्त करते हैं।

अभी तक की प्राथमिक जांच में यह प्रकाश में आया है कि निशांत अग्रवाल द्वारा अपनी फर्जी कंपनियों को सुचारू रूप से चलाने के लिए विदेशों में यात्राएं करता रहता है। अभी तक की जानकारी से यह भी पता चला है कि यह गिरोह प्रतिदिन करीब 70 से 80 लाख रूपय के फर्जी बिल तैयार करते हैं। अभी तक की जांच में लगभग 8 विभिन्न खातों में लगभग 3 करोड़ से अधिक की धनराशि को फ्रीज किया गया है।

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