तहसील विधिक सेवा समिति द्वारा न्यायालय परिसर में विधिक जागरुकता एवं साक्षरता शिविर आयोजित
बेगमगंज। तहसील विधिक सेवा समिति बेगमगंज द्वारा सोमवार को न्यायालय परिसर बेगमगंज में मानसिक रूप से बीमार और मानसिक रूप से विकलांग व्यक्तियों के लिए विधिक सेवा योजना 2015 के संबंध में विधिक जागरूकता एवं साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया।
साक्षरता शिविर अंतर्गत उपस्थित पक्षकारों को जिला न्यायाधीश बेगमगंज आरके वर्मा द्वारा मानसिक रूप से बीमार और मानसिक रूप से विकलांग व्यक्तियों के लिए विधिक सेवा योजना 2015 के संबंध में जागरूक करते हुए बताया कि मानसिकता रोग मनोरोग या मानसिक बीमारी किसी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य की वह स्थिति है जिसे किसी स्वस्थ व्यक्ति से तुलना करने पर सामान्य नहीं कहा जा सकता है। इस अवसर पर जिला न्यायाधीश विवेक शिवहरे, जेएमएफसी मोहम्मद असलम देहलवी और श्रीमती सृष्टि पटेल के अलावा एजीपी धीरेंद्र सिंह गौर, बार अध्यक्ष संतोष सिंह बुंदेला, आरएन रावत, पीडी नेमा, मोहम्मद मतीन सिद्दीकी, एसएन रावत, केएल चौरसिया, दामोदर प्रसाद चौबे, इंद्रराज सिंंह, इंदर सिंह बुंदेला, भरत सिंह बुंदेला, श्रीकृष्ण तिवारी, सईद कमर, अभिनव मुंशी और राजेंद्र सोलंकी आदि थे।
इलाज की सुविधा उपलब्ध
मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति या उसकी संरक्षक कानूनी सहायता के लिए किसी भी विधिक संस्थान जैसे मप्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में संपर्क कर सकते हैं। वर्मा ने मानसिक रोगियों के अधिकारों के संबंध में पक्षकारों को बताया कि मानसिक रूप से बीमार और अशक्तता से ग्रस्त व्यक्ति मानवीय अधिकार और मौलिक स्वतंत्रता के हकदार हैं, उन्हें गरिमा का जन्मसिद्ध अधिकार है। मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम 1987 के अंतर्गत ऐसे व्यक्तियों को सरकारी मनोचिकित्सा अस्पतालों में मुफ्त उपचार की सुविधा उपलब्ध है।
मानसिक बीमार व्यक्तियों को कारागारों में कैद करना असंवैधानिक है।
शिविर अंतर्गत एमए देहलवी, व्यवहार न्यायाधीश बेगमगंज द्वारा पक्षकारों को जागरुक करते हुए बताया गया कि मानसिक रूप से बीमार के साथ किसी रिश्तेदार संरक्षक या अन्य व्यक्ति द्वारा बुरा व्यवहार या उपेक्षा करने पर उसे दंडित करने का प्रावधान है, साथ ही मानसिक अशक्त्ता से ग्रस्त लोग भी अन्य लोगों की तरह चल व अचल संपत्ति की विरासत का अधिकार रखते हैं।