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मोबाइल टॉर्च की रोशनी में हुआ मरीजों का उपचार….

संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल के यह हैं हालात, वार्ड में पहुंचने के लिए भी टॉर्च का सहारा लेना पड़ा

उज्जैन। संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में मरीजों की जान घंटों जोखिम में पड़ी रही। डॉक्टरों को मोबाइल टॉर्च की रोशनी में उपचार करना पड़ा। स्थिति यह रही कि मरीज को वार्ड तक पहुंचाने के लिये भी टॉर्च का उपयोग किया गया। वहीं मरीजों का उपचार कार्य भी घंटों प्रभावित रहा।

जिला अस्पताल का स्टेटस चेक करने दो दिन पहले ही स्टेट लेवल के अफसर यहां आये थे। उनके द्वारा जिला अस्पताल के रखरखाव, स्वच्छता, मरीजों को मिलने वाली सुविधाओं का अध्ययन किया गया। हालांकि इस दौरान अस्पताल के वार्डों और परिसर में गंदगी फैली थी, लेकिन उक्त टीम ने बिजली गुल होने की स्थिति में अस्पताल प्रशासन द्वारा क्या व्यवस्था की गई है इस पर गौर नहीं किया।

जिला चिकित्सालय में सुबह 8.30 बजे बिजली गुल हो गई। इसी दौरान एम्बुलेंस से महिला मरीज को यहां लाया गया। वार्डबाय व अन्य कर्मचारियों ने महिला को स्ट्रेचर पर डाला और इमरजेंसी रूम तक ले गये। यहां मौजूद ड्यूटी डॉक्टर ने मोबाइल की टॉर्च जलाकर महिला का परीक्षण किया और वार्ड में भर्ती करने को कहा।

वार्डबाय उक्त महिला को स्ट्रेचर पर लेकर मेडिसीन वार्ड तक मोबाइल टॉर्च की रोशनी में लेकर पहुंचे। यहां वार्ड में स्थिति यह थी कि जिन मरीजों के पास मोबाइल थे वह भी अपने मोबाइल की टॉर्च खोलकर बैठे थे। अंधेरे में ही खाली पलंग पर बीमार महिला को लैटाकर वार्ड बाय लौट गये।

जिला अस्पताल में बिजली गुल होने की स्थिति में इनर्वटर और जनरेटर हैं लेकिन सभी उपकरण खराब पड़े हैं। घंटों बिजली गुल रहने के कारण मरीजों की जान तो जोखिम में थी, वहीं डॉक्टर्स और नर्सों को भी अंधेरे में मोबाइल की टॉर्च जलाकर मरीजों का उपचार करना पड़ा। अस्पताल कर्मचारियों ने बताया कि यदि इमरजेंसी केस आ जाये तो उपचार करना मुश्किल हो जायेगा।

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