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परेदेशी परिंदों का आगमन धीमी गति से शुरू,वर्ड वाचिंग के लिए सेमरी बांध बना नया स्थान

बेगमगंज। धीरे धीरे तापमान में ठंडक  घुलने से रात का मौसम थोड़ा सर्द होना शुरू होते ही प्रवासी पक्षियों के लिए बेहतर वातारण बन जाने से प्रवासी पक्षियों के धीरे धीरे आने का सिलसिला क्षेत्र के जलाशयों में हो चुका है। हजारों किमी की यात्रा कर पिछले करीब 10 साल से क्षेत्र के तालाबों में अपना डेरा डालते है और गर्मी शुरू होते ही वापसी की राह पकड़ लेते है। आने वाले प्रवासी पक्षियों को शीतल वातावरण को सहन करने की क्षमता होती है और इन्हें इसकी आदत पड़ जाती है यही वजह है कि तापमान घटते ही भोपाल की झील की तरह क्षेत्र के जलाशयों में भी इन्हें देखा जा सकता है। पांच वर्षो से वर्ड वाचिंग करने  वालों को सेमरी बांध भी नया स्थान बन गया है यहां छटवीं बार परदेशी परिंदों का आना शुरू हुआ है।

सेमरी जलाशय पर आए प्रवासी पक्षीयों के

पक्षियों का कलरव रोमांचित करने के साथ साथ उर्जा देने वाला होता है। यह अब बेगमगंज क्षेत्र के छोटे तालों पर देखने को मिलने से लोग इनके प्रति आकर्षित होने लगे है। इन दिनों विशेषकर सेमरी जलाशय के अलावा चांदोड़ा, तुलसीपार, कीरतपुर, जैतपुरा, तुलसीपार सहित अन्य स्थानों पर प्रवासी पक्षियों की अठखेलियां मन को खूब भा रही है। सुबह के समय उक्त तालाबों का नजारा ही निराला होता है। यहां प्रवासी पक्षी लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच लेते है। जंगलों से लगे इन तालाबों पर प्रवासी पक्षियों का डेरा सुंदरता व दृश्य को और भी मनोरम बना रहा है । पिछले 10 वर्षो से प्रवासी पक्षी इन तालाबों पर आ रहे है लेकिन इस बार इनकी संख्या में कमी आई है। लेकिन इनके आने का दौर पूरी तरह थमा नहीं है। सर्दी की दस्तक के साथ ही प्रवासी पक्षियों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है तापमान घटने के साथ प्रवासी पक्षियों के और अधिक संख्या में आने की उम्मीद है।

पक्षियों के आने की वजह - सर्दी के मौसम में माह नवम्बर से ही प्रवासी पक्षयों की आमद शुरू हो जाती है। इस बार इनकी दस्तक 28 अक्टूबर से शुरू हुई है।

यहां खासकर सनबर्डस, व्हिसलिंग, टीलस, सारस, बगुले, ब्लैक आइबिस, ब्लैक रेड स्टार्ट, मिनिवेट्स, लाई कैंचर, स्पून बिल, लिटिल कोरमोरेंट्स, मूरहेन्स, लार्ज कोरमोरेंट्स, वैगटेल्स, बैबलर्स, यलो लैग्ड गुल्स आदि प्रजाति के पक्षियों के नजर आने की एक  मूल वजह यहां हरियाली और जल स्त्रोत संग्रह का होना है। और वातावरण साफ स्वच्छ है यहां किसी तरह का दूषित वातावरण नहीं होना भी है।

कोन कोन से पक्षी आए है:- बेगमगंज में इस बार सारस, बगुले, ब्लैक रेड स्टार्ट, लार्ज कोरमोरेंट्स (शिकारी पक्षी) लेसर व्हिस्लिंग टील्स, लिटिल कोरमोरेंट्स, ब्लैक आईबिस, रडी शेलडक, ब्लैक हेडेड गुल्स, यलो लैग्ड गुल्स आदि ने सैकड़ों की संख्या में अपना डेरा जमा लिया है। इनमें सबसे ज्यादा मनभावन यलो लैग्ड गुल्स है।

बनेगा बसेरा:- अक्टूबर नवम्बर माह में इन मेहमानों का पहुंचना शुरू हो जाता है। जो तालाब डैम के जलाशय को अपना आशियाना बनाते है। केवल जलीय स्थानों पर ही अपना बसेरा बनाने वाले इन नए मेहमानों ने इस बार विशेष तोर पर सेमरी जलाशय जो कि मुख्य सागर भोपाल मार्ग पर खानपुर ढाबे से करीब 13 किमी दूरी पर है जहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा सुल्तानगंज टप्पा का चांदोड़ा, नगर से करीब 12 किमी दूर कीरतपुर एवं सागोनी, जैतपुरा, राहतगढ़ जल प्रपात, तुलसीपार डेम को चुनने से वर्ड वाचिंग करने वालों की फेहरिस्त में इन नए स्थानों का नाम पहले से शामिल है।

तय करते हे लंबा सफर:- यह प्रवासी पक्षी लेह, लद्दाख, हिमालय, साईबेरिया से अपना प्रवास शुरू करते है। ऐसे में हिमाचल प्रदेश, कशमीर, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश के चुनिंदा जलीय क्षेत्रों में ठहरते हुए मध्यप्रदेश पहुंचते है। ठंड खत्म होते होते मार्च अप्रेल तक वापसी शुरू हो जाती है ।

ऐसे करें वर्ड वाचिंग:- वर्ड वाचिंग पर जाते समय कपड़ों के रंगों का खास ख्याल रखा जाना जरूरी है। गहरे लाल, काले, गुलाबी या गहरे नीले कपड़े पहनकर पक्षियों के पास जाने पर वे डर कर उड़ जाते है। इसलिए कोशिश करें कि कपड़ों का रंग हरा या कत्थई हो। ताकि कपड़ों का रंग वातावरण में मिल सके और पक्षियों को  इंसानी मौजूदगी का एहसास न हो। पक्षियों को दूर से अच्छी तरह देखने के लिए दूरबीन व पहचानने के लिए ऐसी पुस्तक साथ रखें जिनमें पक्षियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई हो ।

पक्षी विशेषक का मत:- बडर्स संस्था सालेहा परिसर नरेला भोपाल के पक्षी विशेषक मो. खालिद ने मोबाइल पर प्रवासी पक्षियों की प्रजातियों उनका रहन सहन और जीवन चक्र के बारे में बताते हुए कहा कि पक्षियों की जिन प्रजातियों का अभी आगमन हुआ है। उनमें से ज्यादातर हिमालय एवं तराई वाले क्षेत्रों से आते है। जबकि यूरोप एवं मध्य एशिया से आने वाले प्रवासी पक्षी बफबारी होने से सर्दी बढ़ने के साथ ही यहां पहुंचेगे। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही विदेशी पक्षियों को | भोपाल सहित आसपास के जलाशयो पर देखा जा सकेगा ।


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