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हजारो पेड़, सैंकड़ो हेक्टयर जंगल दे कर वन विभाग ने चुकाई विकास की कीमत

12 से ज्यादा सरकारी महकमो को  5854 हेक्टयर  जमीन दी वन विभाग ने

हरे -भरे जंगलों के बदले मिली बंजर और पथरीली जमीने

इंदौर। मध्यप्रदेश औद्योगिक  विकास केंद्र  और जिला उद्योग व्यापार केंद्र सहित कई  सरकारी विभाग,  पीथमपुर- सेवन , फर्नीचर क्लस्टर  जैसे  विकास कार्यो में अड़ंगे  डालने के लिए, इंदौर  वन विभाग पर  गम्भीर आरोप लगाते आये है कि जब भी सरकार या प्रशासन कोई महत्वपूर्ण परियोजना लाता है ,तो वन विभाग सरकारी जमीन को अपनी जमीन बता कर काम रुकवा देता है इस वजह से कई महत्वपूर्ण योजनाये सालो -साल के लिए अटक  जाती है । जबकि इंदौर वन  विभाग का कहना है कि विकास कार्यो के वह याब तक  12 से ज्यादा सरकारी महकमो को हजारो हेक्टयर जंगल  और जमीने  दे चुका है।

इंदौर वन विभाग के रिकार्ड के अनुसार बीते सालों में  उसने लगभग 13 प्रोजेक्ट के लिए  5854.387 हेक्टयर जंगल की जमीन दी है ।

आईआईटी , मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट ,जैसे महत्वपूर्ण संस्थानों के अलावा  सेना , विद्युत वितरण कम्पनी, नेशनल हाइवे विभाग  , पीडब्ल्यूडी ,नर्मदा क्षिप्रा लिंक परियोजना , गम्भीर लिंक परियोजना , चोरल और बेरछा फायरिंग रेंज फील्ड जैसे कई परियोजनाएं विभाग अथवा प्रोजेक्ट शामिल है।

इन विभागों  लिए जंगलों की इतनी जमीन दी

यँहा दी जमीन           इतने हेक्टयर

इंदौर एयरपोर्ट                   7.884

चोरल फायरिंग रेंज      1989.921

मेट्रो डिपो के लिए            30.178

आईआईटी कॉलेज          80.000

गोकुल्या कुंड                      8.005

बेरछा फायरिंग रेंज       3650.012

नर्मदा गम्भीर लिंक            17.496

400केवी पावर ग्रिड          13.023

लोटिया तालाब                 14.005

सिंघा जी पावर लाइन        15.055

टीपीएच लाइन मानपुर      18 .000

नर्मदा क्षिप्रा लिंक परी.          3.949

महामंडलेश्वर सड़क.             5.004

हरि भरी जमीनों के बदले  पथरीली जमीने

वन विभाग से विकास कार्यो के लिए जमीने लेते वक्त कहा गया कि उन्हें जमीन के बदले जमीन और काटे गए पेड़ो के बदले मुआवजा दिया जायेगा  ।  जमीन के बदले वन विभाग को जो जमीने दी गयी उनमें से अधिकांश जमीने बंजर या पथरीली है  इतना ही नही  इंदौर वन विभाग को जंहा जमीने दी गई वह  कई किलोमीटर दूर  अन्य जिलों में है । पिछले सालों में 12 से ज्यादा सरकारी विभागों को लगभग 6000 हेक्टयर जंगल की  जमीने दी है।

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