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"माहौल कैसा चल रहा है भैया ?

सुरेश "विचित्र" जबलपुर। चुनावी अखाड़े में विभिन्न पार्टियों के  योद्धा कूद पड़े हैं। अपने-अपने झंडा, बेनर, समर्थकों और नारा लगाने वालों को साथ लेकर गली गली, मोहल्ले मोहल्ले, सभी को नमस्कार, प्रणाम, करते हुये,, मुस्कुराती हुई मुद्रा में पैदल चल रहे हैं। कुछ ही दिनों की तो बात है,, अगर कष्ट भी है तो थोड़ा सा सह लेने में क्या बुराई है। जीत गए तो आनंद ही आनंद है। आराम ही आराम है। फिर तो वह सब उनके द्वारे खुद आयेगें,, जिनके द्वारे आज उन्हें जाना पड़ा रहा हैं। सभी जोर-शोर से प्रचार में लगे हैं। मतदाता हर प्रत्याशी को बराबर सम्मान देते है। मालाओं से भी प्रत्याशी को लाद देते हैं। जिंदाबाद के नारे लगा देते हैं। आश्वासन भी देते है। थोड़ी दूर उसके साथ रैली में पैदल भी चल लेते है । लेकिन उसके मन का माहौल क्या है,, यह उन घूमने वालों को भी समझ में नहीं आ पाता है, जो निरंतर लोगों से मिल रहे हैं।  वह खुद अपने कार्यकर्ताओं से पूछते रहते हैं,,  माहौल कैसा चल रहा है भैया,,,,,?? 

दरअसल बात यह है कि मतदाता जो है,, वह बिल्कुल मूक दर्शक बना हुआ है। वहां से किसी भी प्रकार का फीडबैक नहीं मिल पा रहा है। जिसको जो समझ में आ रहा है, वही कहे जा रहा है। उसी प्रकार के दावे प्रति दावे भी किए जा रहे हैं। लेकिन आजकल हर जगह सिर्फ एक ही चर्चा है,, माहौल कैसा चल रहा  है भैया ,,,?? और फिर इस बात को लेकर चर्चाएं शुरू हो जाती है, आपस में लोग तर्क,, ,,वितर्क करते रहते हैं, लेकिन फिर भी उन्हें यह खबर,, यह पता नहीं लग पाता है, कि माहौल कैसा है। प्रचार चल रहे हैं, गति पकड़ते जा रहे हैं! कही कही पूरी गति में भी चुनाव प्रचार आ चुके हैं! लेकिन सवाल वही है,, माहौल कैसा चल रहा है भैया,,,,??

गांव हो या शहर हो, पान ठेला हो, चाय का ठेला हो, कोई दुकान हो, मॉर्निंग वॉक पर जाने वाले लोग हों, आफिस हो, बाजार हों, सब इसी बात में व्यस्त दिख रहे हैं। और खड़े हुए प्रत्याशियों के बारे में भी चर्चाएं कर रहे हैं। पुरानी से पुरानी चर्चाएं और नई से नई घटनाओं का जिक्र इस समय में होना बहुत स्वाभाविक बात है। लोग पता नहीं कहां-कहां की बातें करते हैं,, प्रत्याशी किसी के घर अगर नहीं जा पाया है तो यह बात भी कई दफा लोगों को बहुत खराब लग जाती है। वह इस बात की भी चर्चा करते हैं कि प्रत्याशी हाथ हिलाते हुए निकल गया,, हमारे मोहल्ले में एक दो लोगों से मिला, लेकिन हमसे नहीं मिला। जबकि हमसे मिलना चाहिए था। इसके बाद वह यह खबर भी उसके पास भिजवाते हैं कि भैया को जब भी टाइम हो हमसे आकर जरूर मिल लें,, उसके पीछे का रहस्य है, अगर भैया उनसे जाकर मिल लेंगे तो मोहल्ले में उनकी इज्जत बढ़ जायेगी और भैया अगर नहीं मिले,, तो वह इतने बुरे हो जायेंगे कि वह कई दिन तक उनकी बुराई बतायेगे। वोट डालने तक,, पता नहीं भैया की कितनी वोटो का नुकसान हो जाएगा। यह सब बातें प्रत्याशी को ध्यान में रखनी पड़ती है। हर प्रत्याशी एक तरफ से सबके पैर पड़ता रहता है। अब वह यह नहीं देखता कि कौन बुजुर्ग है, कौन बुजुर्ग नहीं है, कौन बच्चा है, एक बार पैर पड़ने में क्या बुराई है। प्रत्याशी बहुत चतुर और मतदाता की नब्ज समझने वाले होते हैं। अनुभवी प्रत्याशियों में यह समझ बहुत ज्यादा होती है। और वह अपनी समझ का इस्तेमाल करके माहौल को बना लेते हैं। फिलहाल हर प्रत्याशी माहौल बनाने में लगा है।

चुनाव प्रचार का समय आजकल काम हो गया है। प्रत्याशियों का एरिया बहुत बड़ा होता है। लाखों वोटर होते हैं। उन सब को मनाना, उन सबको गारंटी देना, योजनाओं के बारे में बताना, काम करवा दिया जाएगा, काम हो जाएगा, काम करवाएंगे, हम आपके हैं, आप हमारे हैं, आप हमारा परिवार हैं। तमाम बातें माहौल को प्रभावित करती है। इसे लोग प्रत्याशी की व्यवहार कुशलता कहते हैं। जबकि यह प्रत्याशी की चतुराई होती है। और इन्हीं बातों से माहौल बनता है। हर दल का प्रत्याशी माहौल बनाने में लगा है। उसके माहौल को समझने के लिए मतदाता भी लगा हुआ है।

मतदाता माहौल के हिसाब से, और पार्टी के हिसाब से मतदान करता है। कुछ मतदाता ऐसे होते हैं जो ज्यादा ध्यान नहीं देते, ना पार्टी पर ना माहौल पर, वोट डालने जाते हैं, जो समझ में आया उसी को वोट देकर चले आते हैं। लेकिन इस उत्सव में सभी उत्साहित तो रहते हैं। उत्साह के साथ-साथ अपना मतदान करना भी गौरव समझते हैं। हाथ में लगी हुई स्याही सबको बताते हैं। कि मैंने वोट डाला है। कुछ लोग वोट नहीं भी डालते हैं,,, लेकिन दिन भर, रात मे भी माहौल जरूर समझते रहते हैं। और बनाते भी रहते हैं। एक दूसरे से माहौल पूछते हैं। इस मोहल्ले से उस मोहल्ले को सिर्फ माहौल जानने के लिए जाते हैं। फोन करके भी माहौल की जानकारी लेते रहते है। कुछ लोग अपने व्यक्तिगत वाहनों में घूमते हैं,, माहौल कैसा है,, जानने के लिये,, लेकिन यह सब कुछ वास्तव में तब पता हो पाता है जब पेटियां खुलतीं हैं। और मतों की गिनती होती है। तब तक लोग एक दूसरे से पूछते रहते,,, माहौल कैसा चल रहा है भैया,,??

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