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राजा चन्द्रहास और रानी सति विषया के सती स्थल पर भरा मिठाई का मेला, कैबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त विधायक रामपाल सिंह ने मेले में पहुंचकर की पूजा अर्चना

रानी सती विषया देवी के सिद्ध स्थान पर पूजा अर्चना करते रामपाल सिंह

बेगमगंज। नगर से सागर की ओर ग्राम बेरखेड़ी होते हुए मात्र 9 किमी दूर नेपाल से आए राजा सूर्य नरेश की नगरी कुन्तलपुर जिसका बिगड़ा नाम कोकलपुर में कार्तिक पूर्णिमा को रानी विषया के सती स्थल पर परम्परागतानुसार मेले का आयोजन किया गया। जहां दूर दराज से आए लोगों ने रानी विषया देवी के सती स्थल पर पूजा अर्चना कर अपनी मनोकामनाएं रखी। तथा जिनकी मानोकामनाएं पूर्ण हो चुकी है उन्होन भी यहां पर मिठाई का प्रसाद चढ़ा कर वितरित किया।

कैबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त विधायक ठाकुर रामपाल सिंह राजपूत भी मेला में पहुंचे और पूजा अर्चना कर रानी के सती स्थल पर विजयी होने की प्रार्थना  की।

मिठाई का प्रसाद वितरण करते रामपाल सिंह

वर्षों से तालाब के किनारे रानी सती विषया देवी का सिद्ध स्थान पर मेला भरता आ रहा है। इस मेले की विशेषता है कि यहां पर विक्टलों मिठाई बिकने के लिए आती है और कोई भी व्यापारी बचा कर नहीं ले जाता। शाम ढलने से पहले ही सारी मिठाई बिक जाती है मिठाई की कीमत भी कम होती है और उसे खाकर आज तक कोई भी बीमार नहीं हुआ है किवदंती है कि यहां जिन्न'आकर मिठाई खरीदकर खाते है।

मेले में आसपास के ग्रामों के बुजुर्गो ने नृत्य करते हुए गीतों के माध्यम से राजा चन्द्रहास और रानी विषया देवी की प्रेम गाथा का वर्णन बड़े ही मार्मिक अंदाज में किया जिसे सुनकर लोग पुरानी यादों में खो गए । रानी विषयादेवी के सती स्थल पर पूजा अर्चना कराने वाले गांव के बुर्जुगों  ने यहां के ऐतेहासिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि सती विषया देवी एवं राजा चन्द्रहास राजा सूर्य नरेश का इतिहास विश्राम सागर में संक्षिप्त रूप से एवं धार्मिक ग्रंथ जैमिनी पुराण में अध्याय 41 से 62 तक विस्तार पूर्वक  दिया हुआ है। महाभारत युद्ध के पूरा होने के बाद दिग्विजय यज्ञ का घोडा छोडकर पाण्डुपुत्र देश भ्रमण पर निकले तो कुन्तलपुर के राजा चन्द्रहास ने उक्त घोड़ा पकड़ लिया जिस पर पाण्डु पुत्र अर्जुन और राजा चन्द्रहास के बीच युद्ध की स्थिती निर्मित हो गई तब द्वारकाधीश श्री कृष्ण ने अपने दोनों भक्तों के बीच आकर मित्रता करवाई और साढे तीन दिन तक श्री कृष्ण यहां पर रूके फिर पाण्डु पुत्र राजा चन्द्रहास को भी साथ लेकर अन्य राजाओं को अपने अधीन करने निकल पड़े तब काशी के समीप हुए युद्ध में राजा चन्द्रहास वीर गति को पहुंच गए तो उनका पार्थिव शरीर जब कुन्तलपुर लाया गया तो रानी विषया देवी ने अपने आप को सती कर लिया ।

क्या कहते है व्यापारी:- मेले में आए मिष्ठान विक्रेता नारायणप्रसाद नेमा, सुदामा नेमा, मदन नेमा ने बताया कि वे दस दस क्विंटल व अन्य करीब एक दर्जन व्यापारी करीब 80 क्विंटल मिठाई लेकर आए थे सभी की सम्पूर्ण मिठाई बिकी कोई बचा कर नहीं ले गया। वे अपने पिता के साथ करीब 30 वर्षो से आ रहे है उससे पहले उनके पिता अपने पिता के साथ आते थे तब मनों मिठाई बिकती थी जो अब क्विंटलों में बदल गई है ।

मिठाई के अलावा श्रगार सामान की हुई बिक्री:- मेले में अन्य वस्तओं की दुकानें विशेष तौर पर महिलाओं के श्रंगार की दुकानों पर जमकर बिक्री हुई दूर दराज ग्रामों से मेला देखने अपने परिवार के साथ आई महिलाओं ने श्रंगार सामग्री की खरीदारी जमकर की । मेले में कैबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त विधायक ठाकुर रामपाल सिंह, अपने साथी ग्रामीण मंडल अध्यक्ष जगदीश लोधी, पूर्व मंडल अध्यक्ष सुरेश ताम्रकार, जिला पंचायत सदस्य मोहित लोधी, बेरखेडी  सरपंच सीमा चौधरी समेत अनेकों कार्यकर्ताओं के साथ पहुंचे और उन्होने सती स्थल पर माथा टेककर प्रसाद चढ़ाया।

मेले में अधिकतर युगल जोड़े हुए शामिल:- मेले में अधिकतर युगल जोड़े अथवा युवा मावठे की बारिश के बावजूद भारी संख्या में सती स्थल पर पहुंचे और अपनी मनोकामनाएं रखते नजर आए।

क्योंकि राजा चन्द्रहास और सती विषया की प्रेम स्थली के रूप में भी लोग इसे देखते है और मन चाही मुरादे पाते है।



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