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सहायक आबकारी आयुक्त आलोक खरे की मुश्किलें बढ़ीं

लोकायुक्त ने सरकार से अभियोजन की मंजूरी मांगी

भोपाल। भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे आबकारी महकमे के सहायक आयुक्त आलोक खरे के खिलाफ लोकायुक्त ने सरकार से अभियोजन की मंजूरी मांगी है। मजेदार बात यह कि जब सहायक आयुक्त आलोक खरे के खिलाफ चार साल पहले आय अधिक से संपत्ति के मामले में कार्रवाई की गई थी, तब वे एक जिले के इंचार्ज थे। लेकिन कार्रवाई के बाद उन्हें उपकृत कर सात जिलों का प्रभारी बना दिया गया था।

लोकायुक्त के पत्र के बाद वाणिज्यिक कर महकमे की प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी ने आलोक खरे के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति के लिए आबकारी आयुक्त ओपी श्रीवास्तव को पत्र लिखा है। अभियोजन की स्वीकृति मिलने के बाद लोकायुक्त आलोक खरे के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत न्यायालय में चालान पेश कर सकेगी।

हम बता दें कि लोकायुक्त ने 16 अक्टूबर 2019 को सहायक आबकारी आयुक्त आलोक खरे के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की शिकायत पर चार शहरों में छापा मारकर 100 करोड़ की संपत्ति का खुलासा किया था। कार्रवाई के वक्त खरे इंदौर में सहायक आयुक्त थे। अब वे रीवा के डिप्टी कमिश्नर हैं और 7 जिलों का प्रभार है।

462 केस में अभियोजन की मंजूरी का इंतजार

ऐसे मप्र में लोकायुक्त पुलिस के 318 और ईओडब्ल्यू के 44 केस में आरोपियों के खिलाफ चालान सिर्फ इसलिए पेश नहीं हो रहे, क्योंकि अभियोजन की स्वीकृति नहीं मिल रही है। अकेले लोकायुक्त पुलिस साल 2022 में कुल 358 केस की जांच पूरी कर चुकी है। इनमें 269 ट्रैप, 25 अनुपातहीन संपत्ति और 64 पद के दुरुपयोग के प्रकरण हैं।

घूसखोर पुलिस अफसर आईपीएस प्रमोटी

तत्कालीन एएसपी अनिता मालवीय और धर्मेंद्र छबई पर 4 साल पहले रेलवे थाना प्रभारी ने घूस मांगने का आरोप लगाया था। लोकायुक्त ने केस किया। कोर्ट के आदेश के बाद रीइन्वेस्टिगेशन जारी है, लेकिन इस बीच अनिता आईपीएस प्रमोट हो गईं और शिवपुरी बटालियन में कमांडेंट हैं, जबकि धर्मेंद्र भी आईपीएस बन गए।

एसडीएम को जांच के बीच प्रमोशन

उमरिया जिले के बिरसिंहपुर पाली में पदस्थ एसडीएम नीलांबर मिश्रा व सुरक्षा गार्ड चंद्रभान सिंह को 24 जुलाई 2019 को क्रशर संचालन के बदले रिश्वत लेते लोकायुक्त रीवा की टीम ने पकड़ा था। अभी इन्वेस्टिगेशन चल रहा है, लेकिन इन्वेस्टिगेशन के बीच ही नीलांबर को पन्ना एडीएम बना दिया गया।

भ्रष्टाचार में फंसे अफसर को दोहरी जिम्मेदारी

राजकीय प्रेस के उप नियंत्रक (मु.) विलास मंथनवार पर 3 हजार रु. रिश्वत का आरोप लगा था। 9 मई 2022 को लोकायुक्त पुलिस ने केस दर्ज कर एक जुलाई 2022 को उन्हें हटाने को लिखा। 8 अगस्त को उन्हें केंद्रीय मुद्रणालय भोपाल में पदस्थ कर दिया गया। जांच के बीच दो उन्हें खरीद एवं वितरण प्रभार दे दिया।

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