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गर्भ में बच्चे की मौत होने पर किया हंगामा

विदिशा। करेयाखेड़ा रोड पर रहने वाले एक परिवार को घर में नन्हीं किलकारी आने की खुशी गुदगुदा रही थी, लेकिन वह खुशियां मातम में बदल गई। बच्चे की गर्भ में मौत होने के पीछे डाक्टरों की लापरवाही बताते हुए परिजनों ने हंगामा किया। वहीं दूसरी ओर दोपहर में ही लटेरी से रेफर कर लाई गई प्रसूता ने भी मृत बच्चे को जन्म दिया। उसके परिवार के सदस्य भी मृत बालिका को लेकर इस हंगामे में शामिल रहे।

करैयाखेड़ा रोड पर रहने वाले संजू अहिरवार ने अपनी पत्नि रजनी अहिरवार को तीन अक्टूबर की रात 10 बजे के लगभग जिला अस्पताल के प्रसूती वार्ड में भर्ती कराया। रजनी को 9 माह 10 दिन का गर्भ था। वहीं बुधवार-गुरूवार की दरमियानी रात दो बजे के लगभग डाक्टरों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया। गर्भ में ही बच्चे की मौत होने की खबर से पूरा परिवार सकते में आ गया। परिवार के सदस्यों का कहना है कि सोनोग्राफी सहित अन्य सभी जांचों में सबकुछ नॉर्मल था तो फिर ऐसा क्या हो गया कि बच्चे की गर्भ में ही मौत हो गई। परिवार ने डाक्टर, नर्स सहित अन्य स्टाफ पर लापरवाही, बदसलूकी का आरोप लगाया।

गुरूवार सुबह बच्चे की गर्भ में ही होने की जानकारी दी गई। इसके साथ-साथ यह भी बताया गया कि मृत शिशु को निकालने के लिए चार से लेकर 16 घंटे तक का समय लग सकता है। दुखी और नाराज परिवार प्रसूता को लेकर निजी अस्पताल चला गया, जहां दो घंटों में ही मृत शिशु को बाहर निकाल लिया गया। गुरूवार शाम साढ़े पांच बजे ेके लगभग मृत शिशु को जिला अस्पताल के प्रसूती वार्ड में लाकर परिजनों ने जमकर हंगामा किया। कोई भी डाक्टर, नर्स इस संबंध में परिजनों से बात करने के लिए तैयार नहीं था।

लगातार हंगामा होता देख कोतवाली पुलिस को भी सूचना दी गई। वहीं बाद में तहसीलदार भी जिला अस्पताल पहुंचे। डाक्टरों पर कार्यवाही की मांग परिजनों द्वारा की गई।

कलेक्टर को भी दिया आवेदन

परिवार के सदस्यों का कहना है कि उन्होंने एक लिखित आवेदन कलेक्टर उमाशंकर भार्गव को भी सौंपा। जिसमें उन्होंने डाक्टरों की लापरवाही के गंभीर आरोप लगाने के साथ-साथ जिला अस्पताल में ही प्रसूता के पति संजू के पास रखे 25 हजार रूपए, एक मोबाइल चोरी होने का आरोप लगाया। कलेक्टर से की गई शिकायत पर कलेक्टर ने सीएस से बात कर इस मामले में पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने और प्रसूता के इलाज की व्यवस्था करने के निर्देश दिए। इधर परिवार लापरवाह डाक्टरों पर हत्या का मामला दर्ज कराने की मांग के साथ हंगामा कर रहा था।

इस हंगामे के बीच लटेरी से निकिता जादौन पत्नि कृष्णपाल सिंह जादौन निवासी बनारसी को रेफर कर विदिशा जिला अस्पताल लाया गया था। उनके परिजन का कहना है कि रेफर करने के दौरान सिरोंज में उन्होंने जांच कराई थी। जहां जच्चा-बच्चा को स्वस्थ बताया गया था, लेकिन शाम पांच बजे के लगभग डिलेवरी हुई तो बच्ची मृत पैदा हुई। परिजन ने बताया कि डाक्टरो ने प्रसव के पूर्व बच्चे की धड़कन कम होने की जानकारी दी थी। प्रसव के बाद बच्ची मृत पैदा हुई।

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