Type Here to Get Search Results !

आज करवा चौथ का व्रत

करवा चौथ के व्रत का पालन करते हुए महिला ।

बेगमगंज। करवा चौथ का व्रत आज 1 नवम्बर मंगलवार को है आइए हम जानते है करवा चौथ का महत्व ज्योतिष आचार्य हरिकेश शास्त्री जी महाराज तिंसुआ  वालो से वे बताते है कि महिलाओं के जीवन में एक खास महत्व रखता है ।इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए पूरे दिन निर्जला व्रत रखती है  करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को पड़ता है । इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत करती हैं और  रात के समय चांद देखकर व्रत का पारण किया जाता है।

करवा चौथ के दिन शादीशुदा महिलाएं 16 श्रृंगार कर सजती संवरती हैं और रात में चांद निकलने के बाद चंद्रमां की पूजा कर चांद को जल देकर और अपने पति का मुख छलनी से देखकर अपना व्रत खोलती है, शुभ मुहूर्त  करवा चौथ की तिथि 31 अक्टूबर 2023, मंगलवार के दिन रात्रि10.42 से शुरु हो जाएगी वहीं 1 नवंबर को चंद्र दर्शन के बाद रात 10.39 मिनट पर समाप्त हो जाएगी पूजा का शुभ समय 1 नवंबर शाम 6.54 मिनट से लेकर 8.10 मिनट तक रहेगा चंद्रोदय का समय 1 नवंबर रात 8.12 मिनट पर रहेगा करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के जीवन में बहुत महत्व रखता है. ये व्रत शादीशुदा महिलाओं के दांपत्य जीवन में खुशियां भरता है ।इस दिन सास अपनी बहू को सरगी देती है. जिससे सुबह सूर्योदय से पहले खाया जाता है।

करवा चौथ के व्रत में सरगी का बहुत महत्व है. इसके बिना करवा चौथ का व्रत पूरा नहीं माना जाता है इस बार करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर बुधवार के दिन रखा जाएगा। करवा चौथ का पर्व चंद्रमा की पूजा के बिना अधूरा माना जाता है।

 इस दिन भगवान गणेश और माता करवा की पूजा की जाती है। महिलाएं इस दिन अपनी पति की लंबी आयु, रक्षा, खुशहाली के लिए पूरे दिन भूखे प्यासे इस व्रत को करती हैं। ऐसी मान्यताएं हैं कि इस व्रत को करने से पति पर कोई संकट नहीं आता है कई पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार जब असुरों और देवताओं के बीच युद्ध हुआ तो इस समय देवता हार की कगार पर पहुंच गए थे। ऐसे में उनकी पत्नियों ने ब्रह्मा जी के कहने पर कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवाचौथ का व्रत किया था। 

इसके बाद करवा माता ने सभी देवताओं के प्राणों की रक्षा की और युद्ध में भी जीत हासिल की करवा चौथ की पूजा और व्रत की विधि के अनुसार, करवा चौथ के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान के सामने हाथ जोड़कर व्रत का संकल्प लें।

शाम की पूजा के लिए गेरू से घर की दीवार पर फलक बनाएं और फलक पर करवा का चित्र बनाएं इसके बाद शाम के समय फलक वाले स्थान पर चौकी लगाएं और माता पार्वती और भगवान शिव की कोई फोटो लगाएं इसके बाद पूजा की थाली में दीप, सिंदूर, अक्षत, कुमकुम, रोली और मिठाई रखें। इसके बाद करवे में जल भरकर पूजा में रख दें और माता पार्वती के श्रृंगार सामग्री चढ़ाएं।

इसके बाद माता पार्वती भगवान शिव और चंद्रदेव की आराधना करें करवा चौथ व्रत की कथा सुने और पढ़ें। चंद्रमा के निकलने के बाद छलनी या जल के अंदर चंद्रमा को देखें इसके बाद चांद की पूजा करें और उन्हें अर्घ्य दें । हरिकेश शास्त्री ने बताया इसके बाद अपने पति की लंबी उम्र की कामना करें। इसके बाद पति के हाथ से पानी पीकर अपना व्रत संपन्न करें। अंत में अपने  पति और बड़ों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें ।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.