भोपाल। किसान-कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री श्री कमल पटेल ने भोपाल में भारतीय मृदा विज्ञान सोसायटी (ISSS) के 87वें वार्षिक सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए कहा कि मृदा के बेहतर स्वास्थ्य के लिये प्राकृतिक खेती को अपनाया जाना जरूरी है। शुभारंभ अवसर पर डॉ. हिमांशु पाठक, महानिदेशक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली डॉ. एस.के. चौधरी, डीडीजी एनआरएम आईसीएआर नई दिल्ली उपस्थित थे।
कृषि मंत्री श्री पटेल ने कहा कि प्राकृतिक खेती सभी के स्वास्थ्य के लिये लाभप्रद है। रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल से बेशक उत्पादन बंपर हुआ है, किंतु इसके नकारात्मक परिणाम भी हम सबके सामने हैं। रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग के कारण न केवल मृदा की उर्वरा शक्ति खत्म होती है, बल्कि उत्पादित अन्न, फल और सब्जियाँ मनुष्य के स्वास्थ्य के लिये घातक होती है। मंत्री श्री पटेल ने वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि इस प्रकार की नवीन तकनीक इजाद की जाये, जिसके उपयोग से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा मिले। इससे मनुष्य के साथ ही मृदा के स्वास्थ्य को भी संरक्षित किया जा सकेगा।
महानिदेशक, आईसीएआर डॉ. पाठक ने इंडियन सोसाइटी ऑफ सॉइल साइंस द्वारा किए गए कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि यह एकमात्र सोसाइटी है, जो समर्पित प्रयासों के साथ 87 वर्षों से लगातार काम कर रही है। उन्होंने आशा की कि मृदा विज्ञान के प्रासंगिक क्षेत्र में नए उत्साह के साथ काम जारी रहेगा। उन्होंने मृदा स्वास्थ्य कार्ड के दूसरे चरण, उर्वरक अनुसंधान पर उत्कृष्टता केंद्र, अधिक सटीक और शुरू करने पर जोर दिया।