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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान काजरी, जोधपुर में किसानों-वैज्ञानिकों से किया संवाद

किसानों के बिना बदलाव संभव नहीं, वे अर्थव्यवस्था की रीढ़, कृषि व्यापार व निर्यात भी करें– उपराष्ट्रपति

जैसे जल ही जीवन है, वैसे कृषि ही जीवन है- केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के अंतर्गत आने वाले केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी), जोधपुर में आज किसानों व वैज्ञानिकों से संवाद किया। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर कार्यक्रम से वर्चुअल जुड़े, वहीं उपराष्ट्रपति की पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत, कृषि राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी व सांसद श्री राजेंद्र गहलोत विशेष रूप से उपस्थित थे।

इस अवसर पर उपराष्ट्रपति श्री धनखड़ ने कहा कि किसानों के बिना देश में बदलाव संभव नहीं है, किसान अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, बदलाव किसानों को लाना है और उसके अनुरूप बदलना भी है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी बदलाव के प्रमुख केंद्र है। श्री धनखड़ ने कहा कि कृषि उत्पाद आज सबसे बड़ा व्यापार है। उन्होंने आह्वान किया कि युवाओं को कृषि व्यापार में लगाया जाएं, जो किसानों का एरिया है, लेकिन इस पर उनका ध्यान केंद्रित नहीं हुआ। आज कई उच्च शिक्षित युवा उन कृषि उत्पादों का व्यापार कर रहे हैं, जो किसानों की कड़ी मेहनत से उपजते हैं। किसानों द्वारा कृषि उत्पादों के व्यापार को अपने दायरे में लेने पर बहुत बड़ा बदलाव आएगा। श्री धनखड़ ने कहा कि जी 20 में जहां भारत का डंका बजा, दुनिया के देशों ने देखा कि भारत कितना बदल गया है, इतनी बड़ी वैश्विक ताकत बनी, उसमें एक फैसला हुआ, जो किसान परिवारों के लिए ज़रूरी है, वह है एक आर्थिक कॉरिडोर- भारत, मिडिल र्ईस्ट और यूरोप। हजारों साल पहले यह कॉरिडोर था, जिसकी दोबारा शुरूआत हो रही है। किसान बदलाव को गले लगाएं, टेक्नालाजी अपनाएं। किसान अपने उत्पादों को सीधे न देकर उसमें कुछ न कुछ वैल्यू एडिशन करें, तो इससे क्रांतिकारी बदलाव आएगा। यह आसान है, संभव भी है क्योंकि सरकार की नीतियां सकारात्मक है व दूरगामी परिणाम देने वाली हैं, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति काफी बेहत्तर होगी। निर्यात के लिए भी किसानों के बेटे-बेटियां आगे आएं, क्योंकि वे ही इसे पैदा करते हैं। दूर की सोचकर अपनी भागीदारी निभाएं। कृषि के साथ कृषि व्यापार एवं कृषि निर्यात भी किसानों द्वारा करने से बड़ा अवसर कोई हो नहीं सकता। श्री धनखड़ ने कहा कि किसानों की कड़ी मेहनत के कारण आज शुष्क क्षेत्र में भी अनार, खजूर, अंजीर, जीरा जैसे उत्पाद उगाए जा रहे है, जिसका और ज्यादा फायदा किसानों को स्वयं व्यापार व निर्यात करने से मिलेगा। उपराष्ट्रपति ने अपने स्तर पर किसानों के लिए हर सकारात्मक सहयोग का भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2047 तक देश को विकसित बनाने में हमारे किसानों का बहुत बड़ा योगदान होगा।

केंद्रीय कृषि मंत्री श्री तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र हमारे देश के लिए आज बहुत महत्वपूर्ण है। यह कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी कि जैसे जल ही जीवन है, वैसे कृषि ही जीवन है। आजीविका के लिए कई क्षेत्र हैं, जिनमें पैसा कमाया जा सकता है लेकिन कृषि का क्षेत्र ऐसा है कि यदि यह उपेक्षित हो गया तो पैसा तो हाथ में होगा लेकिन खरीदने के लिए खाद्यान्न व अन्य सामग्री नहीं होगी, इसीलिए किसान को अन्नदाता कहा गया है और इसीलिए प्रधानमंत्री श्री मोदी ने किसानों की अतिरिक्त चिंता इन 9 वर्षों में की है। प्रधानमंत्री ने किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए आह्वान किया तो यह सिर्फ वक्तव्य तक ही सीमित नहीं रहा बल्कि उन्होंने अपनी तरफ से किसानों की आय व कृषि को आगे बढ़ाने के लिए जो-जो प्रयत्न आवश्यक है, उस दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाए हैं। चाहे प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि हो या प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का सुरक्षा कवच हो, चाहे 10 हजार नए एफपीओ बनाने का मामला हो अथवा 1 लाख करोड़ रुपये का एग्री इंफ्रा फंड स्थापित करने का मामला हो, चाहे किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के माध्यम से किसानों को 20 लाख करोड़ रु. तक का ऋण आसानी से उपलब्ध कराने का विषय हो, पशुपालकों- मस्त्यपालकों को केसीसी से जोड़ने का सवाल हो, हर दिशा में प्रधानमंत्री ने काम किया है। इसका प्रतिफल आज निश्चित रूप से देशभर में देखने को मिलता है।

केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने कहा कि काजरी संस्थान के कार्यों को देखकर गौरव का अनुभव होता है, जहां के वैज्ञानिकों ने इस पूरे रेतीले इलाके में कृषि क्षेत्र में चमत्कार किया है, वहीं आईसीएआर के वैज्ञानिकों ने खाद्यान्न, बागवानी, पशुपालन व मत्स्यपालन की दृष्टि से जो बेहतर काम किया है, उसके कारण हमारा देश आज अग्रणी अवस्था में खड़ा हुआ है। श्री तोमर ने कहा कि आज हमारे सामने चुनौतियां भी है कि खेती में लागत कैसे कम करें, इसके लिए टेक्नालाजी का उपयोग करें एवं स्वाइल हेल्थ कार्ड का उपयोग किसानों की आदत में आएं। सामूहिक रूप से पोषक तत्व, कीट प्रबंधन आदि से खेती की लागत कम होगी एवं फसलों की गुणवत्ता भी बढ़ेगी। कृषि मंत्री ने कहा कि जैविक व प्राकृतिक खेती वर्तमान समय की आवश्यकता बनती जा रही है, जिसे बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने अनेक उपाय किए हैं, योजनाएं बनाई हैं, जिन्हें हमारे किसान भाइयों-बहनों को अपनाना चाहिए तथा इस खेती को प्रोत्साहित करना चाहिए। श्री तोमर ने कहा कि राजस्थान, मध्य प्रदेश , हरियाणा, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में मिलेट्स (श्री अन्न) की खेती हो रही है। श्री अन्न का उपयोग बढ़े, इसके लिए प्रधानमंत्री ने पूरी दुनिया को एक सूत्र में पिरोया है, जैसे-जैसे इसका उपभोग बढ़ेगा, तो मांग वृद्धि के साथ छोटे किसानों की उपयोगिता व इनकी आय भी बढ़ेगी। इस दिशा में प्रधानमंत्री का आह्वान असरकारक हो रहा है, पूरी दूनिया के देश मिलेट्स मांग रहे हैं, जिसके लिए हिंदुस्तान के किसानों को उत्पादन भी बढ़ाना पड़ेगा, उन्हें इस दिशा में प्रवृत्त होना पड़ेगा।

कार्यक्रम में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री शेखावत व कृषि राज्य मंत्री श्री चौधरी ने भी संबोधित किया।

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