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मिट्टी है तो हम हैं, मिट्टी नहीं तो फिर सब कुछ मिट्टी है

भारतीय मृदा विज्ञान सोसायटी के 87 वें वार्षिक सम्मेलन का कृषि मंत्री ने किया शुभारंभ

तीन दिन तक देशभर के 300 वैज्ञानिक टिकाऊ मिलेट्स की ज्यादा पैदावार पर करेंगे मंथन

भोपाल। मिट्टी है तो हम हैं, मिट्टी नहीं तो सब कुछ मिट्टी है। एक हजार साल लगते हैं एक इंच मिट्टी बनने में, फिर भी मिट्टी को बर्बाद किया जा रहा है। अंधाधुंध पेस्टीसाइड्स और उर्वरकों के इस्तेमाल से उर्वरक क्षमता खत्म होती जा रही है। 

यह चेतावनी भोपाल स्थित भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान में मंगलवार से शुरू हुए चार दिवसीय भारतीय मृदा विज्ञान सोसायटी के 87 वें वार्षिक सम्मेलन में मृदा और कृषि वैज्ञानिकों ने दी। इसमें देशभर के 300 से ज्यादा कृषि और मृदा वैज्ञानित टिकाऊ मिलेट्स के अधिकाधिक उत्पादन को लेकर मंथन करके एक्शन प्लान फाइनल करेंगे। इसके उद्घाटन सत्र को प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल, भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ. एसपी दत्ता, महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद डॉ. हिमांशु पाठक तथा डॉ. एसके चौधरी ने संबोधित किया। 

भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ. एसपी दत्ता ने बताया कि सम्मेलन का प्रमुख विषय मृदा विज्ञान में विकास है, जिसके तहत मिट्टी की उर्वरता, पौधों का पोषण, मिट्टी रसायन विज्ञान, मिट्टी जीव विज्ञान, मिट्टी और पर्यावरण इत्यादि शामिल हैं। इनके अलावा प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, मृदा स्वास्थ्य, उर्वरकों के वैकल्पिक स्रोत, मिलेट (श्री अन्न) उत्पादन पर भी शोध प्रस्तुतियां होंगी। लोगों के आहार में मिलेट (श्री अन्न) जैसे बाजरा, ज्वार, रागी, कोदो, कुटकी इत्यादि के महत्व को ध्यान में रखते हुए भारत में टिकाऊ मिलेट (श्री अन्न) उत्पादन के लिए प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन पर विशेष संगोष्ठी में देशभर से 300 प्रतिनिधि अपने-अपने शोध पत्र पढेÞंगे।   

अब तक 22 करोड़ स्वाइल कार्ड बनाए

देश में मिट्टी की सेहत को बचाने और सरंक्षित करने के लिए किसानों को जागरुक करके उर्वरक और पेस्टीसाइड्स के प्रयोग के बारे में वास्तविक आवश्यकता बताने के लिए देशभर में अभी तक 22 करोड़ स्वाइल कार्ड बनाए गए हैं। यह जानकारी देते हुए महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद डॉ. हिमांशु पाठक ने कहा कि 87 साल से कार्य कर रही भारतीय मृदा विज्ञान सोसायटी का कार्य दुनियाभर में सराहनीय है। उन्होंने मध्यप्रदेश में जमीन की बनावट और उसको बचाए रखने के बारे में वैज्ञानिकों से सशक्त भूमिका निभाने की अपील की।

स्मारिका का विमोचन और अवॉर्ड सेरेमनी

इस मौके पर कृषि मंत्री कमल पटेल और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के निदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने स्मारिका का विमोचन किया। साथ ही मृदा विज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले वैज्ञानिकों और शोधार्थियों को अवार्ड भी प्रदान किए गए।

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