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जन्म देकर संतुष्ठ मत होना बच्चों को जीवन के साथ साथ संस्कार जरूर देना :विपिन बिहारी दास

श्रीमद् भागवत कथा में श्री कृष्ण जन्मोत्सव

बेगमगंज। बच्चों में शिक्षा के साथ ही संस्कारों का भी बीजारोपण होना चाहिए। संस्कारों के बिना शिक्षा अधूरी है। आज के इस भौतिक युग में संस्कार शाला का संचालन होना अत्यंत आवश्यक है। भगवान श्रीकृष्ण ने ही सनातन धर्म को बचाया है। अगर द्रोपदी को चीर नही बढ़ाया होता तो आज सनातन को क्या संदेश जाता।

दिग्विजय कॉलोनी में निखरा परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान गंगा यज्ञ में पीठाधीश्वर महंत विपिन बिहारी दास ने कथा का श्रवण करते हुए उक्त बात कही।

श्री कृष्ण से संस्कार की सीख लेने की बात कही। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण स्वयं जानते थे कि वह परमात्मा हैं उसके बाद भी वह अपने माता पिता के चरणों को प्रणाम करने में कभी संकोच नहीं करते थे। यह सीख भगवान श्रीकृष्ण से सभी को लेनी चाहिए। आज की युवा पीढ़ी धन कमाने में लगी हुई है लेकिन अपनी कुल धर्म और मर्यादा का पालन बहुत कम कर रही हैं।

श्रीमद भागवत कथा के चतुर्थ दिवस श्रीकृष्ण जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया गया। श्री कृष्ण जन्म होते ही भक्तगण जमकर नाचे झूमे।‌विपिन बिहारी जी ने श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की कथा सुनाई। कथा सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। उन्होंने कहा कि जिस समय भगवान कृष्ण का जन्म हुआ जेल के ताले टूट गए, पहरेदार सो गए। वासुदेव देवकी बंधनमुक्त हो गए। प्रभु की कृपा से कुछ भी असंभव नहीं है। कृपा न होने पर प्रभु मनुष्य को सभी सुखों से वंचित कर देते है। कथा के मुख्य यजमान पुत्र अभिषेक नीखरा नन्हें बालक को कृष्ण के रूप में सजाकर पंडाल में लाए तो जय कन्हैयालाल के जयकारे गूंज उठे। भक्तों ने बाल कृष्ण को दुलार किया। भगवान को माखन- मिश्री का भोग लगाकर आरती की गई।  कथा वाचक ने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन कर उनके जन्म का उद्देश्य भी बताया। भगवान का जन्म होने के बाद वासुदेव ने भरी यमुना पार करके इन्हें गोकुल पहुंचा दिया, वहां यशोदा के यह पैदा हुईं, शक्तिरूपा बेटी को लेकर चले आए, श्री कृष्ण जन्मोत्सव पर नंद घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की गीत पर एवं संगीतकारों द्बारा सुंदर भजनों की प्रस्तुति देकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। 

कथावाचक ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपने भक्तों का उद्धार व पृथ्वी को दैत्य शक्तियों से मुक्त कराने के लिए अवतार लिया था। उन्होंने कहा कि जब- जब पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान धरती पर अवतरित होते हैं।

श्रीमद्भागवत की कथा में वह सारे तत्व हैं जिनके माध्यम से जीव अपना तो कल्याण कर ही सकता है साथ में अपने से जुडे हुए लोगों का भी कल्याण कर सकता है। जीवन में व्यक्ति को अवश्य ही भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए। बिना आमंत्रण के भी अगर कहीं भागवत कथा हो रही है तो वहां अवश्य जाना चाहिए। इससे जीव का कल्याण ही होता है।


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